इस काले तेल से बनी चीजों से लगातार हार्ट अटैक, नसों में ब्लॉकेज, लकवा, कैंसर व पेट संबंधी बीमारियां हो रही है तो इम्यूनिटी घटती जा रही है। आरएनटी के एमबी चिकित्सालय में प्रतिदिन ऐसे 400 से 500 मरीज आ रहे हैं जो कोलेस्ट्रॉल, बीपी, हार्ट की बीमारी से ग्रसित है। हर चौथे-पांचवें मरीज को तो फेटी लीवर हो रहा है।
चिकित्सा विभाग ने इसके पीछे के कारणों में तली-भुनी चीजों के ज्यादा सेवन के साथ ही होटल, रेस्टोरेंट व थड़ी पर बिकने वाली कचौरी, समौसे व पकोड़े खाना बताया है। चिकित्सकों का कहना है कि एक ही तेल को गर्म कर बार-बार उसमें खाने की चीजों को तला जा रहा है। गाढ़ा काला तेल होने के बावजूद उसे बदला नहीं जा रहा है, उसमें भी उल्टा नया तेल डालकर बीमारियां दे रहे हैं।
क्या कहते हैं चिकित्सक, कितनी फैल रही बीमारियां
● चिकित्सकों के अनुसार बार-बार एक ही तेल उपयोग में लेते हैं तो उसमें फ्री रेडिकल्स बनने लगते हैं, जो आगे चलकर कैंसर, स्ट्रॉक और अल्जाइमर जैसी घातक बीमारियों को बुलावा देते हैं। ● तेल को बार-बार गर्म करने से उसकी खुशबू के साथ-साथ उसका प्रभाव भी खत्म हो जाता है, जिसकी वजह से तेल में फैट जमने लगता है और तेल का रंग काला पड़ जाता है। इसी जले हुए तेल में बना खाना खाते हैं तो यह फैट खाने में चिपककर सेहत को नुकसान पहुंचाता है। यह तेल शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ा देता है। फैट से मोटापा बढ़ने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है।
● जले हुए तेल में खाना बनाते हैं तो विषैले तत्व रसायन बनने लगते हैं, जो पेट में जाने के बाद गैस बनाते हैं। इसके कारण अपच और पेट दर्द जैसी समस्या भी होती है।
● बार-बार गर्म किया हुआ तेल या फिर बचा हुआ तेल कैंसर की संभावना को बढ़ता है। यह पेट,गॉल ब्लेडर, लीवर कैंसर दे सकता है। इसके कारण अल्जाइमर, एसिडिटी और अन्य गंभीर बीमारियां होती है।
● तेल काला पड़ता है तो यह शरीर में लो डेंसिटी लीपोप्रोटीन यानी बैड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। ● जले हुए तेल को खाने से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही ये ब्लड को गाढ़ा बना देता है। सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। ये नलियों को चॉक कर देता है।
● फ्री रेडिकल्स के निर्माण से तेल में एंटी ऑक्सीडेंट की मात्रा खत्म होने लगती है, जो स्किन रोगों का कारण है।
पत्रिका ने की पड़ताल, सभी जगह मिला काला गाढ़ा तेल
राजस्थान पत्रिका की टीम ने शहर में अलग-अलग जगह प्रमुख रेस्टोरेंट, होटल व थड़ी पर जाकर देखा तो बहुत चौंकाने वाले हालात मिले। यूनिवरर्सिटी मार्ग पर एक नाश्ता सेन्टर पर ज्यादा ग्राहक व माल का उठाव था, वहां सर्वाधिक गड़बड़ी थी। गाढ़े काले तेल में समोसे तले जा रहे थे। एक रेस्टोरेंट में तो कढ़ाई में पुराने रखे तेल से शुरुआत कर उसे डिब्बे में भी भरा और काला तेल डालकर कचौरियां तली गई। पुलिस लाइन व माली कॉलोनी क्षेत्र में सडक़ निर्माण कार्य के दौरान उड़ रही धूल- मिट्टी के बीच गर्मागर्म समोसे, आलूबड़े तले जा रहे थे और लोग खाने का लुत्फ उठा रहे थे। वहां सभी सामान खुला पड़ा था। चेतक पर लगी थडिय़ों के तो बुरे हाल थे। कचौरी, समोसे के साथ ही पूडिय़ां तली जा रही थी। काले तेल को वे बार-बार गर्म करके उपयोग में ले रहे थे। गुलाबबाग रोड पर तो एक थड़ी पर ऐसे हालत थे, जहां पर पहले ही अधपके पकोड़े, आलूबड़े रखे थे, ग्राहक आने पर बार-बार काले तेल को गर्म कर उन्हें वापस तलकर परोसा जा रहा था।
घर की बनी चीजें ज्यादा खाएं
एक ही तेल को बार-बार गर्म करने से जलता है। काले व जले हुए तेल में बनाई गई खाद्य सामग्री कई तरह की बीमारियां फैलाती है। इससे हार्ट अटैक, नसों के ब्लॉकेज, लकवा तक होता है। इसी जले हुए तेल में बना खाना खाते हैं तो यह फैट खाने में चिपककर सेहत को नुकसान पहुंचाता है। यह तेल शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ा देता है। फैट से मोटापा बढ़ने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। प्रतिदिन इन बीमारियों से ग्रसित रोगी नियमित रूप से अस्पताल पहुंच रहे हैं। लोग अपनी सेहत का पूरा ध्यान रखें, बाहर की बनी चीजों से खाने से बचें, हो सके तो घर की बनी चीजें ज्यादा खाएं।
–ओपी. मीणा, वरिष्ठ चिकित्सक मेडिसीन विभाग