मामला सामने आने पर एकबारगी तो पुलिसकर्मियों की भी धड़कनें बढ़ गई थी। जांच में गैंगरेप की पुष्टि नहीं हुई तो सभी ने राहत की सांस ली। पुलिस भी यह जानकार हैरान है कि कोई महिला गैंगरेप जैसी कहानी कैसे बना सकती है। बड़ी बात ये कि महिला खुद को प्रतापनगर चौराहे पर खड़े होकर घर जाने के लिए वाहन का इंतजार करना बता रही थी, वह उस समय में प्रतापनगर चौराहे पर तो थी ही नहीं। इसकी पुष्टि प्रतापनगर चौराहे और महिला के घर-मोहल्ले के सीसीटीवी फुटेज में हुई है।
सीसीटीवी फुटेज से खुला राज
पुलिस ने 11 फरवरी की रात महिला से बात की तो उसने रात 9.30 बजे प्रतापनगर चौराहे से लिफ्ट लेने, कार से अपहरण और गैंगरेप की बात बताई। पुलिस ने कार को चिह्नित करने के लिए प्रतापनगर से डबोक तक के सीसीटीवी खंगाले तो ऐसा घटनाक्रम नहीं दिखा। न तो चौराहे पर महिला थी और न ही कार से लिफ्ट की पुष्टि हुई। कोर्ट में बयान से मुकर गई महिला
जांच अधिकारी पुलिस उपाधीक्षक छगन पुरोहित ने बताया कि महिला का अपहरण और गैंगरेप की पुष्टि नहीं हुई। आरोप पूरी तरह से झूठे निकले। कोर्ट में बयान के दौरान महिला मुकर गई। बताया कि उस दिन वह नशे में थी और काफी परेशान थी। घरेलू मारपीट से आहत होकर उसने गैंग रेप की कहानी बना दी।
घरेलू हिंसा की शिकार हुई थी महिला
जांच अधिकारी ने बताया कि दरअसल मामला घरेलू झगड़े का था। जिस दिन की घटना उसने बताई थी, उस दिन की रात महिला से घर में ही मारपीट हुई थी, जिससे काफी चोटें लगी। मारपीट से आहत महिला घायल अवस्था में ही घर से निकली थी। हाईवे पर जा रही थी कि होटल के गार्ड ने मदद करने की भावना से उसे रोका और पुलिस को सूचना दी।