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उदयपुर

इको सेेंसेटिव व वेेटलैंड सिटी: रसूखदारों के लिए कोई नियम नहीं, सेंचुरी व झील किनारे बना रहे होटल व बड़ी-बड़ी इमारतें

निर्माण कार्यों पर पूरी तरह रोक फिर भी अधिकारी व कार्मिक गैर जिम्मेदार, किसने दी स्वीकृतियां, नहीं दी तो कार्रवाई क्यों नहीं की

उदयपुरFeb 19, 2025 / 12:12 am

अभिषेक श्रीवास्तव

रानी रोड पर झील से महज 500 मीटर की दूरी पर समतलीकरण का चल रहा काम

उदयपुर. उदयपुर में इको सेंसेटिव जोन व वेटलैंड सिटी होने के बावजूद अधिकारी व कार्मि्रक गंभीर नहीं है। उनकी लापरवाही व गैर जिम्मेदाना कृत्य के चलते उन क्षेत्रों में चारों तरफ निर्माण कार्य चल रहे हैं, जबकि नियमानुसार स्पष्ट आदेश है कि नए निर्माण तो छोड़ो पुराने निर्माण पर भी कोई कंस्ट्रक्शन नहीं करवा सकता। इन नियमों के बावजूद धड़ल्ले से निर्माण होना कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है। सज्जनगढ़ के नीचे ही रसूखदार ने सात मंजिला भवन की छतें डाल दीवारे खड़ी कर दी तो रानी रोड पर हर थोड़े अंतराल में निर्माण समझ से परे हैं। हरिदासजी की मगरी क्षेत्र में तो बड़े रसूखदारों के झील पेटे में ही निर्माण कार्य चल रहे हैं। इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। ये स्वीकृतियां किसने दी? नहीं दी तो निर्माण होते ही कार्यों को क्यों नहीं रुकवाया गया, इन सब सवालों का किसी अधिकारी के पास जवाब नहीं है, जबकि एक गरीब को इन क्षेत्रों में आशियाने बनाने की भी इजाजत नहीं है।

सेंचुरी के आसपास व्यावसायिक गतिविधियों पर पूरी तरह से है रोक

सज्जनगढ़ सेंचुरी के आसपास का पूरा इलाका इको सेंसेटिव जोन में आता है। सेंचुरी से एक किलोमीटर या इको सेंसिटिव जोन की सीमा तक उस दायरे में नया निर्माण नहीं किया जा सकता है, लेकिन अभी सज्जनगढ़ के आसपास के तीन किलोमीटर के दायरे में निर्माण कार्य धड़ल्ले से चल रहे हैं। आवासीय कॉलोनियों के निर्माण तो छोड़ो महज चंद दूरी पर ही होटल का निर्माण गड़बड़झाला की पोल खोल रहा है।

2017 से प्रतिबंधित है क्षेत्र, फिर भी निर्माण कैसे, कौन है जिम्मेदार

– वन मंत्रालय ने 13 अक्टूबर 2015 को अभयारण्य का ड्राफ्ट बनाया

– अधिसूचना में 2 नवम्बर 2015 को जनता की आपत्तियां मांगी
– 13 फरवरी 2017 को अंतिम अधिसूचना जारी की

– अभयारण्य की सीमा चारों ओर फैली हुई है। इसमें बड़ी, छोटा हवाला, बड़ा हवाला, सज्जनगढ़, गोरेला, दरारा, राताखेत, ओद का कई इलाका इको सेंसेटिव जोन में आ रहा है।
– इस जोन में राज्य सरकार की सक्षम स्वीकृति के बिना सरकारी, गैर सरकारी भूमि पर निर्माण तो छोड़ो पेड़ों की कटाई भ्ज्ञी नहीं की जा सकती।

पत्रिका में खबरें प्रकाशित होने के बाद हुई थी सख्ती, फिर आदेश हवा में

राजस्थान पत्रिका के अंक में मामले को लेकर खबरें प्रकाशित होने के बाद तत्कालीन संभागीय आयुक्त ने समस्त अधिकारियों के साथ कठोर नियमों को लागू करते निर्माण कार्यो के समस्त आवेदन पर मॉनिटरिंग के आदेश जारी किए थे, लेकिन बाद मेें सभी हवा हो गए।
– इको सेंसेटिव जोन में नई होटल रिसॉर्ट के भूमि परिवर्तन वाले नए आवेदन प्राप्त भी होते हैं तो इन मामलों में संबंधित विभाग पूर्ण जांच कर मॉनिटरिंग कमेटी के समक्ष रखेगा। जरूरत होने पर मॉनिटरिंग कमेटी ही इस बारे में निर्णय लेगी।
– अभयारण्य की सीमा के एक किमी दायरे में आने वाली पुराने होटलों और रिसॉर्ट, जिनकी स्वीकृति इको सेंसिटिव जोन की अधिसूचना जारी होने से पहले मिली हुई है ऐसी होटलों में किसी तरह के विस्तार और नए निर्माण की स्वीकृति भी जारी नहीं की जाएगी।
– अभयारण्य के इको सेंसेटिव जोन की सीमा के भीतर रहने वाले लोग मकान के लिए एकल आवास योजना के तहत आवेदन कर सकेंगे। बशर्तें कि वे वहां के मूल निवासी हों। ये आवेदन भी मॉनिटरिंग कमेटी के समक्ष रखे जाएंगे।

निर्माण निषेध क्षेत्र के रानी रोड पर कोई नियम नहीं

फतहसागर के रानी रोड वाला छोर पूरी तरह से निर्माण निषेध क्षेत्र है, यहां पर इको सेंसेटिव जोन व वेटलैंड दोनों नियम लागू होते हैं, लेकिन वहां पर झील से महज 500 से 700 मीटर की दूरी पर हुए निर्माण कार्याे के लिए कौन जिम्मेदार है। अभी वहां पर एक भूमि पर जेसीबी से समतलीकरण का काम चल रहा है।

इधर, यूडीए ने होटल का काम रुकवाया

इधर, सज्जननगढ़ के निकट बन रही सात मंजिला बहुमंजिला इमारत के मामले में राजस्थान पत्रिका में खबर प्रकाशित होने के तीसरे दिन यूडीए की टीम ने मौके पर पहुंचकर एक बार काम रुकवाया। टीम का कहना है कि मौके पर जांच के बाद अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि सज्जनगढ़ सेंचुरी से महज कुछ कदम पर यहां पर होटल के पीछे ही पहाड़ी पर निर्माण चल रहा है। अब तक यहां जमीन लेवल से करीब सात मंजिला इमारत खड़ी कर दी गई। वहां पर अब दीवारें बनाई जा रही है।

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