उन्होंने कहा कि भारत को विश्व युद्ध में जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। राजस्थान पानी की किल्लत वाला राज्य है, लेकिन अब सबसे ज्यादा पानी राजस्थान को मिलने वाला है। हरियाणा और मध्यप्रदेश के साथ हुए समझौतों से खूब फायदा होगा।
एक निजी रिसॉर्ट में जल कलश भरने की रस्म और स्वागत के साथ कॉन्फ्रेंस की शुरुआत हुई। केंद्रीय मंत्री पाटिल ने कहा कि बड़े बांध भी देश की जरुरत पूरी नहीं कर सकते। नए बांध बनाने के लिए नदियां नहीं बची हैं। बांध बनने में सालों लगते हैं, करोड़ों रुपए खर्च होते हैं, किसानों की जमीन जाती है, गांव विस्थापित होते हैं।
जहां किल्लत होती है, वहां पानी पहुंचाया जाता है, उसमें भी 30 प्रतिशत लाइन लोस होता है। इतने साल और निवेश के बाद भी जरुरत पूरी नहीं होती। इसलिए गांव का पानी गांव में रहे, यही उपाय है। हमारे पास जो पानी है, उसे संचय करने की पूरी व्यवस्था नहीं है। पानी बड़ा मुद्दा है, मंत्री और अधिकारी इसे सहजता से नहीं लें और गंभीरता से काम करें।
सुरक्षित भविष्य के लिए जल आत्मनिर्भरता जरूरी -भजनलाल
कॉन्फ्रेंस में सीएम भजनलाल शर्मा ने कहा कि हमें जल संरक्षण के उपाय अपनाकर जल आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढऩा चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित और समृद्ध भविष्य दे सकें। जल आत्मनिर्भरता के लिए हमें रोडमैप बनाकर काम करना है। जल आत्मनिर्भरता की भूमिका बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि राम जल सेतु लिंक परियोजना प्रदेश की जीवन रेखा है। इससे प्रदेश के 17 जिलों में 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई और 3 करोड़ लोगों को पेयजल मिलेगा।
राज्यों की रखी गई बात
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री श्री माणिक साहा, कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार, हिमाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री अरुण साव, जल संसाधन केन्द्रीय सचिव देबाश्री मुखर्जी ने भी विचार व्यक्त किए। केन्द्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री राजभूषण चौधरी, जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत, पीएचइडी मंत्री कन्हैयालाल, विभिन्न राज्यों के जल संसाधन मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।