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महाकालेश्वर मंदिर में लगेगी टंच मशीन, दान में आए सोने की होगी परख

Mahakaleshwar Temple Ujjain: महाकालेश्वर मंदिर में साल के 365 दिन उमड़ती है भक्तों की भीड़, कई भक्त चढ़ाते हैं सोना-चांदी का चढ़ावा, अब मंदिर में आने वाली सोना-चांदी की भेंट की की जाएगी जांच, मंदिर प्रबंधन ने दी स्वीकृति

उज्जैनMay 24, 2025 / 09:10 am

Sanjana Kumar

Mahakaleshwar Temple Ujjain

उज्जैन. देश के अन्य बड़े मंदिरों की तर्ज पर महाकालेश्वर मंदिर में भी लगेगी सोने की शुद्धता परखने वाली टंच मशीन.

Mahakaleshwar Temple Ujjain: देश के अन्य बड़े मंदिरों की तरह महाकाल मंदिर (Mahakaleshwar Temple Ujjain) में भी लगभग प्रतिदिन श्रद्धालुओं द्वारा बड़ी संख्या में दान किया जाता है। यह क्रम वर्षभर जारी रहता है। इसी को देखते हुए महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति ने निर्णय लिया है कि दान में मिलने वाली वस्तुओं का भौतिक सत्यापन मंदिर में ही टंच मशीन लगाकर किया जाएगा। इसके अलावा वर्तमान वाली प्रक्रिया को भी बंद नहीं किया जाएगा।

महाकाल मंदिर प्रबंध समिति ने लिया निर्णय

गत दिनों हुई महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में निर्णय लिया गया कि देश के अन्य बड़े मंदिरों की तरह महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा दान स्वरूप दी जाने वाली सोने और चांदी की वस्तुओं की शुद्धता की जांच के लिए ‘टंच मशीन’ लगाकर की जाए।
इस टंच मशीन की मदद से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि जो आभूषण या धातुएं दान की जाती हैं, वे वास्तव में सोना या चांदी हैं या नहीं और उनकी कितनी शुद्धता है। इससे मंदिर प्रशासन को दान की गई वस्तुओं का सही मूल्यांकन करने में आसानी होगी और पारदर्शिता भी बनी रहेगी।

23 साल से बिना मशीन के जांच रहे शुद्धता

महाकाल मंदिर में लगभग 23 साल से सोना और चांदी की शुद्धता की जांच करने वाले अशोक जड़िया (सर्राफा एसोसिएशन के अध्यक्ष) उनका कहना है कि हम लोग अपनी नजरों से देखकर ही बता सकते हैं कि यह शुद्ध है या खोटा है। कोई भी मशीन 100त्न एक्यूरेसी नहीं बता सकती, जबकि इंसान द्वारा जांची गई सोने चांदी की शुद्धता 100त्न मानी जाती है, क्योंकि डॉक्टर का काम एक डॉक्टर ही करेगा, मशीन नहीं।

क्या प्रक्रिया है

सोना, चांदी और अन्य कीमती धातुओं की शुद्धता की जांच कई तरीकों से की जाती है। इनमें से कुछ परंपरागत हैं और कुछ आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों पर आधारित हैं। यह कहना है अशोक जड़िया के पुत्र अतिन जड़िया का, जो महाकालेश्वर मंदिर से आने वाले दान वस्तुओं की जांच करते हैं। उन्होंने कहा-
1. टंच मशीन

यह एक सबसे आधुनिक और लोकप्रिय तरीका है।

मशीन में वस्तु को रखकर X-Ray की मदद से उसकी धातु संरचना का विश्लेषण किया जाता है।

यह जांच कुछ ही सेकंड में हो जाती है और धातु में मौजूद सोना, चांदी, तांबा, जस्ता आदि का प्रतिशत स्क्रीन पर आ जाता है।
बिना धातु को नुकसान पहुंचाए जांच संभव होती है।

2. एसिड टेस्ट

यह पुराना और सस्ता तरीका है, परन्तु इसमें वस्तु को थोड़ा खरोंचना पड़ता है।

धातु पर अलग-अलग एसिड की बूंदें डालकर उसकी प्रतिक्रिया देखी जाती है।
रंग बदलने से शुद्धता का अनुमान लगाया जाता है, लेकिन यह तरीका पूरी तरह सटीक नहीं होता।

3. कैरट माप

यह पारंपरिक तरीका है, जिसमें काली पत्थर (टच स्टोन) पर आभूषण को रगड़ा जाता है और फिर एसिड से परीक्षण किया जाता है।
इससे लगभग अंदाजा लग जाता है कि सोने की कितनी कैरट की शुद्धता है (जैसे 22 कैरट, 18 कैरट आदि)।

4. फायर एस्से

यह सबसे विश्वसनीय और शुद्धता वाला परीक्षण होता है, लेकिन प्रक्रिया लंबी और महंगी होती है। इसमें धातु को उच्च तापमान पर पिघलाकर उसके तत्वों को अलग किया जाता है। इसका उपयोग आमतौर पर सरकारी मानक प्रयोगशालाओं में किया जाता है।
5. अल्ट्रासोनिक टेस्ट

इसका उपयोग आभूषणों की भीतरी संरचना देखने के लिए किया जाता है ताकि यह पता चले कि अंदर कोई मिलावट या नकलीपन है या नहीं।

क्या होगा लाभ

नकली या मिलावटी धातु की पहचान
दान प्रक्रिया में पारदर्शिता

मंदिर संपत्ति का सही लेखा-जोखा

अभी अप्रूवल मिला है, जल्द ही टंच मशीन खरीदी जाएगी

अधिकतर दुकानों और मंदिरों में XRF आधारित टंच मशीन का ही उपयोग किया जाता है, क्योंकि यह तेज, सटीक और बिना नुकसान के काम करती है। अभी तो सिर्फ अप्रूवल मिला है, जल्द ही मशीन क्रय की जाएगी, उस मशीन से यह फायदा होगा कि हाथों हाथ वैरिफिकेशन होगा, उसमें तत्काल मालूम होगा कि वस्तु कितनी शुद्ध है।

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