पुजारी संघ द्वारा सीएम को लिखा गया पत्र
पुजारी संघ द्वारा लिखे गए पत्र में साफ उल्लेख किया गया है कि सभी श्रद्धालुओं के साथ समान व्यवहार किया जावे। क्योंकि जब सिंहस्थ में क्षिप्रा के हर घाट को रामघाट प्रचारित कर श्रद्धालुओं को वहीं स्नान करने की अपील की जाती है। लेकिन जब तेरह अखाड़ों के द्वारा बड़ी बड़ी पेशवाई, वैभव प्रदर्शन और अपनी ताकत दिखाते हुए रामघाट पर जाकर स्नान किया जाता है तब आम श्रद्धालु द्वारा यह देखकर अपने को ठगा से महसूस करता हैं। रामघाट पर स्नान के लिए बढ़ता है तो उसे नदी क्षेत्र पर जाने से रोक दिया जाता है, उससे भी श्रद्धालुओं का दबाव बढ़ता है। जो भगदड़ ओर हादसे के कारण हो सकते हैं। पुजारी महासंघ ने सुझाव दिया कि स्नान के समय अखाड़ों की पेशवाई को बंद किया जाना चाहिए और साधु संतों को साधारण रूप से अपने अनुयायियों, यजमानों के बिना पैदल ही स्नान करने जाना चाहिए।
VVIP और VIP हो प्रतिबंधित
रामघाट पर सर्व प्रथम केवल सनातन धर्म के सर्वोच्च चारों शंकराचार्यों को ही स्नान की अनुमति दी जाना चाहिए अन्य अखाड़ों को नहीं। सभी वीआईपी, वीवीआईपी को मेला क्षेत्र में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। जिससे आम श्रद्धालु अपनी भावना और आस्था के साथ सुरक्षित रूप से क्षिप्रा में पुण्य स्नान का लाभ ले सके। यदि सरकार उपरोक्त सुझावों को सिंहस्थ 2028 में लागू करती हैं तो निश्चित ही सिंहस्थ में किसी प्रकार की भगदड़ या अव्यवस्था नहीं होगी और विश्व पटल पर सरकार और उज्जैन का नाम रोशन होगा। अखिल भारतीय पुजारी महासंघ प्रयागराज में हुए हादसे में दिवंगत हुए सभी श्रद्धालुओं को सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता है।