उज्जैन में हर 12 साल में एक बार सिंहस्थ आयोजित होता है, जिसमें दुनियाभर से साधु-संत और श्रद्धालु शिप्रा नदी में स्नान करने आते हैं। सिंहस्थ के माध्यम से ये सभी धर्म, संस्कृति का प्रचार-प्रसार करते हैं। इस बार सरकार ने महाकुंभ में 14 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया है। सिंहस्थ में अब 35 महीने का समय बाकी है, लेकिन स्थिति ये है कि सड़क, पुल, बिजली जैसे ज्यादातर मूल प्रोजेक्ट्स कागजों में ही सिमटे पड़े हैं।
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सालभर में सिंहस्थ मद के सिर्फ दो काम ही धरातल पर शुरु हो सके हैं। विभागीय मद के अधिकांश प्रोजेक्ट सक्षम स्वीकृति और ठेकेदार चयन प्रक्रिया में ही उलझा रखे हैं। ये विशुद्ध रूप से अफसरों की उदासीनता और लापरवाही का प्रमाण है जो समय रहते काम शुरु और खत्म न किये जाने से एन मौके पर बड़ी मुसीबत का सबब बन सकता है।
श्रद्धालुओं के लिए रहेंगी ये व्यवस्थाएं
बताया जा रहा है कि सिंहस्थ की महत्ता और विशालता को ध्यान में रखते हुए श्रद्धालुओं के लिए व्यापक व्यवस्थाएं करने को 11 विभाग 15751 करोड़ रुपए के 102 कार्य की योजना प्रस्तावित हैं, जिनमें 5133 करोड़ रुपए से 75 काम इस साल सिंहस्थ मद से कराने की अनुशंसा संभागीय समिति ने की है। लेकिन, गौर करने वाली बात ये है कि, प्रदेश बजट में सिंहस्थ मद दो हजार करोड़ का ही रखा गया है। अब सवाल ये उठ रहा है कि आने वाले साल में सरकार मद बढ़ाएगी या कार्यों में छंटनी करेगी। यह भी पढ़ें- CRPF के 86वें स्थापना दिवस पर एमपी में गृहमंत्री अमित शाह, जवानों को दिये वीरता पदक सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती
सिंहस्थ कराने में सरकार के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती रहेगी, वो भीड़ प्रबंधन और स्वच्छ जल में श्रद्धालुओं को स्नान कराना रहेगी। भीड़ प्रबंधन तभी संभव है, जब शहर की आंतरिक सड़कें चौड़ी, पुलों का दोहरीकरण और शिप्रा नदी पर घाट की लंबाई बढाई जाए। लेकिन, इन तीनों कामों को करने में प्रशासन पहले ही काफी पिछड़ गया है। ट्रैफिक नियंत्रण के लिए बनी रोप-वे, फ्रीगंज समानांतर रेलवे ओवर ब्रिज जैसी अनेक विभागीय योजना सक्षम स्वीकृति के बाद भी धरातल पर शुरू न हो सकी हैं।