दुनियाभर में चिंता!
लिंडबर्ग अकेले नहीं हैं जो मानते हैं क़ी अमेरिका में आने वाले समय में लोकतंत्र का स्तर गिर सकता है। ट्रंप के आने के बाद दुनियाभर में अमेरिका में लोकतांत्रिक मूल्यों के पतन और तानाशाही प्रवृत्तियों के उभार को लेकर चिंता जताई गई है। इसकी वजह ट्रंप के विचार और दूसरे कार्यकाल के दौरान उनके कामकाज के तरीके को बताया जा रहा है।
निरंकुश निर्णय प्रक्रिया
दुनियाभर को प्रभावित करने वाले टैरिफ को लेकर ट्रंप ने जिस तरह से निर्णय लिए हैं, उससे साफ है कि इन निर्णयों के पीछ कोई समिति या परामर्श प्रक्रिया नहीं है। ट्रंप ने पिछले सात दिनों में ही टैरिफ को लेकर कई बार निर्णय बदले हैं। इस दौरान ट्रंप के फैसले सिर्फ एक मात्र लोकतांत्रिक फोर्स बाज़ार से ही प्रभावित दिखे हैं। इसके अलावा उन्होंने किसी संस्थागत प्रक्रिया की भी परवाह नहीं की।
हाइपरनेशनलिज़्म
एडोल्फ हिटलर (Adolf Hitler) ने एक बार कहा था, “आज हमारे देश में व्यवस्था कायम है और अर्थव्यवस्था फलफूल रही है। विदेशों में शायद हम लोकप्रिय नहीं हैं, पर देश में हमारी इज़्ज़त है।” ट्रंप ने 2021 में अपने विदाई भाषण में कहा था, “हमने अपने देश में अमेरिका की ताकत और विदेशों में अमेरिका के नेतृत्व को स्थापित किया। आज फिर दुनिया हमारी इज़्ज़त करती है।” दूसरे कार्यकाल में भी ट्रंप ने साफ तौर पर कहा है. “अमेरिका अब पहले से ज़्यादा महान, मज़बूत और असाधारण बनेगा।”
दिख रही है तानाशाहों जैसी क्रूरता
ट्रंप में फिर से तानाशाहों जैसी क्रूरता दिखने लगी है। इतना ही नहीं, ट्रंप अब तानाशाहों की तरह अमेरिकी नागरिकों से देश के लिए कष्ट सहने और कड़वी दवाई लेने के लिए तैयार रहने के लिए भी कह रहे हैं और इस तरह के बयान पहले भी कई तानाशाह दे चुके हैं।