खालिस्तान समर्थक ताकतों का सफाया तय
कनाडा में होने वाले चुनाव में दूसरा सबसे अहम बदलाव यह है कि खालिस्तान समर्थकों को संरक्षण देने वाली जगमीत सिंह (Jagmeet Singh) की पार्टी एनडीपी (न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी) की सीटें सोमवार को होने वाले चुनावों में घटकर करीब 80% सिमटकर 5 से कम पर आने का अनुमान है। ऐसे में कनाडा में खालिस्तान समर्थक ताकतों का सफाया तय बताया जा रहा है।बहुमत के लिए चाहिए 172 सीटें
कनाडा की 343 सदस्यीस संसद में बहुमत के लिए 172 सीटों की आवश्यकता होती है। सर्वेक्षणों के अनुसार, कार्नी की लिबरल्स पार्टी को बहुमत मिलने की 80% संभावना और बहुमत के बिना सत्ता में आने की 15% संभावना जताई जा रही है।India vs Pakistan: किसकी सेना ज़्यादा ताकतवर? अगर हुआ युद्ध तो किसका पलड़ा रहेगा भारी?
ट्रंप ने बदला चुनावी गणित, अन्य मुद्दों का भी असर
कनाडा में आज हो रहे चुनाव का गणित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर और कनाडा को 51वां राज्य बनाने की उनकी धमकियों के कारण पलट गया है। जो लिबरल पार्टी के पूर्व पीएम ट्रूडो के समय हार की कगार पर थी, उसे अब नए पीएम मार्क कार्नी ने ट्रंप की इन धमकियों के बीच राष्ट्रवाद से जोड़कर पार्टी को आगे ला खड़ा किया है। ट्रंप के अनिश्चितता भरे दौर में कार्नी के खुद को स्थायित्व के प्रतिनिधि की तरह पेश किया है। इसके साथ ही कनाडा के चुनाव में घरेलू स्तर पर घरों की कमी, बेरोजगारी और महंगाई मुख्य मुद्दे बने हुए हैं। पिछले कुछ सालों में ट्रूडो की उदारवादी इमिग्रेशन पॉलिसी के कारण जनसंख्या में वृद्धि हुई। इसलिए अधिकांश समस्याओं के लिए ट्रूडो की इसी नीति को मुख्य कारण माना जा रहा है।लोकतंत्र के अध्येताओं के लिए ऐतिहासिक चुनाव
◙ चार महीने पहले 25% अंकों से पिछड़ रही लिबरल पार्टी फिर से सर्वेक्षणों में आगे।◙ सत्ताधारी दल लिबरल पार्टी के नेता कार्नी ने खुद को बना लिया बदलाव का प्रतिनिधि।
◙ कनाडा में लिबरल पार्टी लगातार चौथी बार सत्ता में आने की राह पर।
◙ आंतरिक मुद्दों से ज़्यादा अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियाँ बनीं चुनावी मुद्दा।
◙ रिकॉर्ड 72 लाख लोगों ने की है प्री-पोलिंग।