क्या है पूरा मामला?
शहबाज शरीफ ने एक सभा में कहा, “अंतरराष्ट्रीय समुदाय नहीं चाहता कि हम भीख का कटोरा लेकर उनके पास जाएं। मैं और फील्ड मार्शल मुनिर आखिरी व्यक्ति हैं जो इस बोझ को ढोना चाहते हैं। अब समय है कि हम पाकिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करें।” यह बयान उस समय आया जब पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, और कर्ज के बोझ ने देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर कर दिया है।
सोशल मीडिया पर हलचल
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस बयान को लेकर कई प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ यूजर्स ने इसे पाकिस्तान की “कबूलनामा” के रूप में देखा, तो कुछ ने शहबाज शरीफ की इस ईमानदारी की तारीफ की। एक यूजर ने लिखा, “पाकिस्तान के पीएम ने सच बोल दिया। अब वक्त है आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने का।” वहीं, कुछ पोस्ट्स में इसे लेकर व्यंग्य भी किया गया, जैसे कि “ईरान ने तो शहबाज को दुत्कार दिया, अब जूते भी गायब कर दिए।”
आर्थिक संकट की जड़ें
पाकिस्तान लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और अन्य देशों से कर्ज ले रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि देश की अर्थव्यवस्था अत्यधिक कर्ज, कमजोर निर्यात, और आंतरिक अस्थिरता के कारण चरमरा रही है। शहबाज के इस बयान को कई लोग उनकी सरकार की मजबूरी और अंतरराष्ट्रीय दबाव के रूप में देख रहे हैं।
आत्मनिर्भरता पर जोर
शहबाज शरीफ ने अपने बयान में प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया। हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि इसके लिए बड़े पैमाने पर सुधारों की जरूरत है, जिसमें भ्रष्टाचार पर लगाम, औद्योगिक विकास, और विदेशी निवेश को आकर्षित करना शामिल है। पाकिस्तानी पीएम का यह बयान न केवल उनकी आर्थिक नीतियों की असफलता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि मित्र देशों का धैर्य अब जवाब दे रहा है। क्या पाकिस्तान इस संकट से उबर पाएगा? यह सवाल हर किसी के मन में है।