होलिका पूजा से मिलता है शक्ति समृद्धि और धन, जानें संपूर्ण होली पूजा विधि मंत्र और प्रार्थना का नियम
Holika Dahan Pujan Mantra : होली पर होलिका पूजन का विधान है, मान्यता है कि ऐसी करने से भय पर विजय मिलती है। साथ ही होलिका पूजा से शक्ति, समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है। इसीलिये होलिका के एक राक्षसी होते हुए भी होलिका दहन से पूर्व प्रह्लाद के साथ उसका पूजन किया जाता है। आइये जानते हैं सही होलिका पूजा विधि (Mantra For Power)
Holi Puja Vidhi: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार होलिका दहन से पूर्व होलिका पूजन करना चाहिए। फिर शुभ मुहूर्त में होलिका दहन करना चाहिए क्योंकि अशुभ मुहूर्त में होलिका दहन दुर्भाग्य और कष्ट का कारण बन सकता है। आइये जानते हैं होलिका पूजन सामग्री और होली पूजा विधि (Holika Dahan Pujan Mantra)
Holika Dahan Puja Vidhi: होलिका पूजा के लिए एक कटोरा पानी, गाय के गोबर से बने मोती, रोली, चावल जो टूटे हुए न हों (अक्षत), धूप और गंध, पुष्प, कच्चे सूती धागे, हल्दी के टुकड़े, साबुत मूंग की दाल, बताशा, गुलाल तथा नारियल। इसके अतिरिक्त गेहूं, चना की नवीन फसलों में से पूर्ण विकसित अनाज को भी पूजा सामग्री में शामिल करना चाहिए।
होलिका पूजा विधि (Holika Puja Vidhi)
1.सभी पूजा सामग्री को एक थाल में रख लें और पूजा की थाली के पास छोटे पात्र में जल रखें। इसके बाद होलिका दहन पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें। इसके बाद तीन बार नीचे लिखे मंत्र का जाप करते हुए पूजा की थाली और अपने ऊपर जल छिड़कें।
ऊँ पुण्डरीकाक्ष: पुनातु। x 3 इस मंत्र का उच्चारण किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पूर्व भगवान विष्णु का ध्यान करने और उनके आशीर्वाद के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग पूजा स्थल का शुद्धिकरण करने के लिए भी किया जाता है।
2. अब दाहिने हाथ में जल, अक्षत, पुष्प और दक्षिणा के रूप में कुछ पैसे लेकर संकल्प ग्रहण करें और पढ़ें – ऊँ विष्णु: विष्णु: विष्णु: श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया अद्य दिवसे (संवत्सर का नाम लें जैसे विश्वावसु) नाम संवत्सरे संवत् (उदाहरण के लिए 2082) फाल्गुन मासे शुभे शुक्लपक्षे पूर्णिमायां शुभ तिथि (उदाहरण के लिए बृहस्पतिवासरे) गौत्र (अपने गौत्र का नाम लें) उत्पन्ना __ (अपने नाम का उच्चारण करें) मम इह जन्मनि जन्मान्तरे वा सर्वपापक्षयपूर्वक दीर्घायुविपुलधनधान्यं शत्रुपराजय मम् दैहिक दैविक भौतिक त्रिविध ताप निवृत्यर्थं सदभीष्टसिद्धयर्थे प्रह्लादनृसिंहहोली इत्यादीनां पूजनमहं करिष्यामि।
इस मंत्र का जप करके, व्यक्ति वर्तमान में प्रचलित हिंदू तिथि, पूजा का स्थान, अपने परिवार का उपनाम, अपना नाम, पूजा का उद्देश्य और पूजा किसके निमित्त की जाती है, का पाठ कर रहा है, ताकि पूजा का संपूर्ण लाभ उपासक को प्राप्त हो जाए।
3. अब दाहिने हाथ में पुष्प और अक्षत लेकर भगवान गणेश का ध्यान और स्मरण करें। भगवान गणेश का ध्यान करते समय जपने का मंत्र निम्नलिखित है – गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपमजम्॥ ऊँ गं गणपतये नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि।
इस मंत्र का जाप उच्चारण करते हुए एक पुष्प पर रोली और अक्षत लगाकर सुगंध सहित भगवान गणेश को अर्पित करें। 4. भगवान गणेश की पूजा करने के बाद देवी अम्बिका का स्मरण करें और निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें। नीचे दिए गए मंत्र का जप करते हुए पुष्प पर रोली और अक्षत लगाकर सुगंध सहित देवी अम्बिका को अर्पित करें।
ऊँ अम्बिकायै नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि सर्मपयामि। 5. इसके बाद नीचे लिखे मंत्र का उच्चारण करते हुये भगवान नृसिंह का ध्यान करें। नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण करते हुए पुष्प पर रोली और अक्षत लगाकर सुगंध सहित भगवान नृसिंह को अर्पित करें।
6. नृसिंह भगवान का पूजन करने के बाद भक्त प्रह्लाद का स्मरण करें और निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें। नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण करते हुए पुष्प पर रोली और अक्षत लगाकर सुगंध सहित भक्त प्रह्लाद को अर्पित करें।
ऊँ प्रह्लादाय नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि। 7. अब होलिका के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो जाएं और नीचे लिखे मंत्र का उच्चारण करते हुए अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें। असृक्पाभयसंत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै: अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव:॥
इसका अर्थ यह है कि, कुछ मूर्ख और बचकाने लोगों ने रक्तपान करने वाले राक्षसों के निरन्तर भय के कारण होलिका का निर्माण किया था। अतः मैं आपकी पूजा करता हूं और अपने लिए शक्ति धन और समृद्धि करता हूँ।
8. होलिका को अक्षत, सुगंध, पुष्प, साबुत मूंग की दाल, हल्दी के टुकड़े, नारियल और भरभोलिये (गाय के सूखे गोबर से बनी माला जिसे गुलरी तथा बड़कुला भी कहते हैं) अर्पित करें। होलिका की परिक्रमा करते हुए उसके चारों ओर कच्चे सूत की तीन, पांच या सात माला बांधी जाती है। इसके बाद कलश के जल को होलिका के समक्ष अर्पित कर दें।
9. इसके बाद होलिका दहन किया जाता है। सामान्यतः होलिका दहन के लिए सार्वजनिक होलिका की अग्नि घर लाई जाती है। इसके बाद सभी पुरुष रोली का शुभ टीका लगाते हैं और बड़ों से आशीर्वाद लेते हैं। लोग होलिका की परिक्रमा करते हैं और नवीन फसल को होली की अग्नि में भूनते हैं। भुने हुए अनाज को होलिका प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
10. अगली सुबह, गीली होली के दिन, होली के अलाव की राख एकत्र की जाती है और शरीर पर लगाई जाती है। राख को पवित्र माना जाता है और माना जाता है कि इसके प्रयोग से शरीर और आत्मा शुद्ध हो जाती है।