कोर्ट में फाइल पेश हुई तो हुआ चौंकाने वाला खुलासा
रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने आरोपी राजकुमार उर्फ पप्पू के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 82 के तहत पेशी का आदेश जारी किया था। यह प्रक्रिया तब अपनाई जाती है, जब आरोपी फरार हो। सब-इंस्पेक्टर बनवारीलाल को आदेश की पालना करनी थी। उसने गलती से मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नगमा खान का नाम ही आरोपी के तौर पर लिख दिया, जिन्होंने आदेश जारी किया था। बनवारीलाल आदेश को गैर-जमानती वारंट समझ बैठा और जज नगमा खान को तलाशने निकल पड़ा। कोर्ट में मामले की फाइल पेश हुई तो यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ। कोर्ट ने इसे गंभीर चूक बताते हुए आगरा रेंज के आइजी को संबंधित अफसर के खिलाफ विभागीय जांच के निर्देश दिए हैं।
अगली कार्रवाई करें…
सब-इंस्पेक्टर ने बाकायदा रिपोर्ट में लिखा, ‘आरोपी नगमा खान उनके घर पर नहीं मिलीं। कृपया अगली कार्रवाई करें।’ कोर्ट ने इस लापरवाही पर टिप्पणी की, ‘जिस अफसर को आदेश की तामील करनी थी, उसे न तो प्रक्रिया की समझ है, न ही यह पता है कि आदेश किसके खिलाफ है। आदेश पढ़ने तक की जहमत नहीं उठाई
कोर्ट ने कहा, अगर ऐसे लापरवाह पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो ये किसी के भी मौलिक अधिकारों को कुचल सकते हैं। बिना समझे-बूझे कोर्ट के आदेश को गैर-जमानती वारंट समझना और मजिस्ट्रेट का नाम उसमें डाल देना बताता है कि अफसर ने आदेश पढऩे तक की जहमत नहीं उठाई।