पूर्व में स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से पीने के पानी की व्यवस्था की जाती थी, लेकिन रेलवे से सहयोग नहीं मिलने से स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी हाथ खड़े कर दिए। रेलवे स्टेशन सहित, रेलवे क्वाटर्स, आरपीएफ चौकी आदि पर पीने के पानी एवं अन्य आवश्यकताओं के लिए पानी की स्थाई व्यवस्था के लिए रेलवे ने करीब 50 लाख की लागत से बोरिंग लगाकर पानी की टंकी बनाई थी, जो तीन साल से शोपीस बनी हुईं है। पहले विभागीय अधिकारी मोटर खराब होने का कारण बताते रहे। बाद में मोटर सही कराने के पश्चात भी स्थिति जस के तस है। अब विभाग की ओर से बोरिंग में पानी नहीं होना कारण बता रहे हैं। तीन वर्ष में तीन दिन सप्लाई नहीं करने से पूर्व ही लाखों खर्च कर बनाई योजना का फेल होना सरकार के पैसों का जमकर दुरुपयोग करना दर्शाता है।प्रतिदिन नहीं हो रही 25 हजार लीटर पानी की आपूर्ति
नियमानुसार 25 हजार लीटर प्रतिदिन पानी की आपूर्ति नहीं की जा रही, जबकि रिकॉर्ड में पूरा पानी दर्शाया जाता है। वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर पानी की आपूर्ति का ठेका दिया हुआ है, जिसने नियम विरुद्ध एक सप्लायर्स खेरली को जलापूर्ति के लिए नियुक्त किया हुआ है। आरोप है कि वह जी शेड्यूल अनुसार पूर्ति नहीं करता है।एक दर्जन यात्री ट्रेनों यहां ठहराववर्तमान में करीब एक दर्जन यात्री ट्रेनों का यहां ठहराव होता है। यात्रियों के लिए पानी खरीद कर पीना मुश्किल हो रहा है। स्थानीय एनसीआर रेल यात्री समिति तथा चेयरमैन नगरपालिका, रेलवे परामर्शदात्री समिति सदस्य शिवदत्त शर्मा कई बार अधिकारियों के समक्ष मामला उठा चुके, पर हालातों में कोई सुधार नहीं है। स्टेशन के प्लेटफार्मो पर बनी टंकी मात्र दिखावा साबित हो रही है।पानी की टंकी और बोरवेल होने के बाद भी यात्री पानी को तरस रहे हैं। पहले मोटर खराब थी। अब बोर फेल बता रहे हैं। कई बार डीआरएम सहित बड़े अधिकारियों को ज्ञापन दे दिया। कोई कार्रवाई नहीं हुई। हमारे पास भी ठेकेदार की ओर से पानी पूरा नहीं देने की शिकायत है।
लक्ष्मीकांत चंद कंसल अध्यक्ष एनसीआर रेलयात्री समिति खेरली।………………… अभी मोटर खराब थी। दूसरी मोटर डालने पर वह चार सौ फीट से नीचे नहीं गई। उसमें कंप्रेशर से साफ कराने को बोला है। वैसे वहां सात सौ फीट तक बोर सूख गए। फाटक संख्या 70 पर पानी की उपलब्धता बताई गई है। जहां बोर कराने का सर्वे कराया है। 10 दिन में बोर कराने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। ठेकेदार की शिकायत खेरली से ही आती है, जबकि वह अन्य स्टेशन पर भी सप्लाई करता है। फिर भी जांच कराएंगे। शिकायत सही पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। हम भी चाहते की विभाग के पैसे का सदुपयोग हो और समस्या का स्थाई समाधान।विजय मीणा, एडिशनल सेक्शन इंजीनियर।