हैलीपेड पर उतरेगा पीएम का हेलीकॉप्टर
आनंदपुर ट्रस्ट परिसर में चार हैलीपेड बनाए गए हैं, जिनमें से किसी एक पर प्रधानमंत्री का हेलीकॉप्टर उतरेगा। सुरक्षा एजेंसियों और प्रशासन द्वारा दौरे की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। ट्रस्ट के वरिष्ठ पदाधिकारियों और जानकारों के अनुसार, इस यात्रा का उद्देश्य अद्वैत परंपरा के प्रचार-प्रसार और आध्यात्मिक संवाद को बल देना है। यह भी पढ़े –
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विश्वभर में अद्वैत पंथ से जुड़े करीब एक हजार ट्रस्ट हैं, जबकि भारत में इनकी संख्या लगभग तीन दर्जन से अधिक है। इन सभी का संचालन और मार्गदर्शन आनंदपुर ट्रस्ट के माध्यम से होता है। ट्रस्ट में पादशाही की गद्दी पर विराजमान गुरु का निर्णय ही अंतिम माना जाता है।
सिर्फ खास अवसरों पर होता है गुरु के दर्शन
ट्रस्ट की एक विशेष बात यह भी है कि आमजन को पादशाही से मिलने की अनुमति नहीं होती। केवल विशेष धार्मिक आयोजनों, जैसे वैसाखी महोत्सव, पर ही लाखों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु आनंदपुर पहुंचते हैं और गुरु के दर्शन करते हैं।
जनकल्याण में समर्पित है ट्रस्ट की भावना
आनंदपुर ट्रस्ट केवल धार्मिक गतिविधियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य जनकल्याण भी है। ट्रस्ट के अधीन संचालित सुखपुर अस्पताल में देश-विदेश के विशेषज्ञ डॉक्टर असाध्य रोगों का उपचार करते हैं। यह अस्पताल ट्रस्ट की समाजसेवी दृष्टिकोण का प्रत्यक्ष प्रमाण है। यह भी पढ़े –
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जहां सामान्य पंचायत पदों के लिए भी चुनाव की प्रक्रिया अपनाई जाती है, वहीं आनंदपुर ट्रस्ट में पादशाही का उत्तराधिकार पूरी तरह से आध्यात्मिक मानकों और वरिष्ठता पर आधारित होता है। वर्तमान में छठवें पादशाही के रूप में स्वामी विचार पूर्णानंद गद्दी पर विराजमान हैं। इनका जन्म भी आनंदपुर में ही हुआ था।
आनंदपुरधाम की ऐतिहासिक स्थापना
आनंदपुरधाम की नींव 1939 में प्रथम पादशाही परमहंस दयाल (अद्वैत आनन्द) द्वारा रखी गई थी। ये मूल रूप से बिहार के छपरा जिले के निवासी थे और बचपन में ही संन्यास ग्रहण कर चुके थे। 1964 में ट्रस्ट को औपचारिक रूप से विस्तार मिला, जिससे इसकी गतिविधियां देश-विदेश तक फैल गईं।
गुरु नाम की आस्था सरकारी दस्तावेजों में भी शामिल
आनंदपुर ट्रस्ट से जुड़े महात्माओं और साध्वियों की गुरु भक्ति केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक दस्तावेजों में भी दिखाई देती है। यहां निवास करने वाले मतदाताओं के पहचान पत्रों में पति या पिता के स्थान पर गुरु का नाम अंकित है। उदाहरणस्वरूप, मतदान केंद्र क्रमांक 126 की सूची में 862 महिला मतदाताओं में लगभग 350 के दस्तावेजों में ‘गुरु दर्शन पूर्णानंद’ का नाम दर्ज है।यहां तक कि मतदान केंद्रों में भी महात्माओं और साध्वियों को अलग-अलग सूचीबद्ध किया गया है। केंद्र क्रमांक 125 में 388 पुरुष मतदाता दर्ज हैं, वहीं मात्र 8 महिलाएं सूची में हैं।