भोपाल लैब सवालों के घेरे में
खाद्य सुरक्षा अधिकारी लीना नायक ने बताया कि पिछले वर्ष टॉप एन टाउन आइसक्रीम का सैंपल लेकर जांच के लिए राज्य खाद्य प्रयोगशाला भोपाल भेजा गया था। वहां से आई जांच रिपोर्ट में इसे मानक स्तर का बताया गया। लेकिन रिपोर्ट में गड़बड़ी की आशंका के चलते इसी सैंपल के दूसरे हिस्से को मैसूर की केंद्रीय प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा गया। वहां से आई रिपोर्ट में आइसक्रीम को अमानक बताया गया। इस अंतर के चलते अब राज्य प्रयोगशाला की जांच प्रक्रिया पर ही सवाल उठने लगे हैं।
कोर्ट में जाएगा मामला
मैसूर प्रयोगशाला की रिपोर्ट आने के बाद खाद्य सुरक्षा विभाग ने टॉप एन टाउन कंपनी को नोटिस भेजने का निर्णय लिया है। अधिकारी लीना नायक ने कहा कि दुकानदारों से आइसक्रीम की खरीद से संबंधित बिल मांगे जा रहे हैं, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि यह उत्पाद कहां से आया था। इसके अलावा, कंपनी के डायरेक्टर और नॉमिनी का नाम व पता लेकर इस मामले को न्यायालय में पेश किया जाएगा। मिलीभगत की आशंका
राज्य प्रयोगशाला की जांच रिपोर्ट को मैसूर लैब ने झूठा साबित कर दिया, जिससे विभाग के भीतर ही संदेह पैदा हो गया है। लोगों का मानना है कि जांच प्रक्रिया में किसी प्रकार की मिलीभगत हो सकती है, जिससे भोपाल की रिपोर्ट मानक स्तर की आई थी। अब इस मामले को लेकर जिले में चर्चाएं तेज हो गई हैं, और खाद्य सुरक्षा विभाग से राज्य प्रयोगशाला की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठने लगे हैं।
दुकानदारों को मिली सलाह
खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने जिले के दुकानदारों को सतर्क करते हुए कहा कि वे थोक विक्रेताओं और कंपनियों से खाद्य उत्पाद खरीदते समय पक्का बिल अवश्य लें। ऐसा न करने से, जब किसी उत्पाद का सैंपल अमानक पाया जाता है, तो कंपनी और निर्माता पर कार्रवाई करने में कठिनाई होती है, और पूरी जिम्मेदारी फुटकर विक्रेताओं पर आ जाती है। मैसूर में केंद्रीय प्रयोगशाला है, इसलिए वहीं की जांच रिपोर्ट को प्रमाणिक माना जाएगा। दुकानदारों से बिल देखे जा रहे हैं और कंपनी को नोटिस भेजा जा रहा है। साथ ही, कंपनी के डायरेक्टर व नॉमिनी का नाम-पता लेकर प्रकरण न्यायालय में पेश किया जाएगा।” – लीना नायक, खाद्य सुरक्षा अधिकारी