गांव फिर बनेंगे टापू : पुल और एनीकट निर्माण की हो चुकी स्वीकृति, टेंडर प्रक्रिया अटकी
एक माह बाद बरसात का सीजन शुरू हो जाएगा। इस साल भी नदी-नाले उफान में रहेंगे और कई गांव टापू बन जाएंगे। जिन गांवों में पुल बनाने की स्वीकृति मिली थी, वहां तीन साल से टेंडर प्रक्रिया ही लटकी हुई है।
Anicut Construction एक माह बाद बरसात का सीजन शुरू हो जाएगा। इस साल भी नदी-नाले उफान में रहेंगे और कई गांव टापू बन जाएंगे। जिन गांवों में पुल बनाने की स्वीकृति मिली थी, वहां तीन साल से टेंडर प्रक्रिया ही लटकी हुई है। जिले के बोरी में सेमरिया नाले पर पुल और नेवारीकला में तांदुला नदी पर एनीकट बनाने की स्वीकृति मिली थी। संबंधित विभाग भी इस मामले में कुछ कह नहीं पा रहा है। सिर्फ यही जानकारी मिल रही है कि शासन स्तर पर टेंडर प्रक्रिया चल रही है। जबकि सेमरिया नाले में पुल बनाने मिट्टी की जांच भी हो चुकी है। ग्रामीण भी बेसब्री से काम शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं।
बीस साल से बोरी स्थित सेमरिया नाले में पुल बनाने की मांग चल रही है। शासन ने भी 3.10 करोड़ की स्वीकृति दी है। ग्राम बोरी के ग्रामीण नारद सेन, पूर्व सरपंच भूपेंद्र साहू, दुष्यंत साहू, कुंजन चौरे सहित अन्य ग्रामीणों ने कहा कि जल्द पुल बनाना चाहिए। यहां पुल बनने से 20 गांव के लोगों को राहत मिलेगी।
बीस साल से बोरी स्थित सेमरिया नाले में पुल बनाने की मांग चल रही है। शासन ने भी 3.10 करोड़ की स्वीकृति दी है।
ग्राम नेवारीकला में तांदुला नदी पर 10 करोड़ की लागत से एनीकट रपटा बनाने की स्वीकृति चार साल पहले मिली थी। निर्माण के लिए मिट्टी की जांच भी की गई, लेकिन आगे क्या हुआ किसी को नहीं मालूम है। एनीकट की लंबाई 200 मीटर प्रस्तावित है।
ग्रामीण हर साल बनाते हैं अस्थाई मार्ग
ग्रामीणों के मुताबिक हर साल बारिश के दिनों बाढ़ आने पर मार्ग बंद हो जाता है। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत नेवारीकला तांदुला नदी में ग्रामीण अपने स्तर पर अस्थाई मार्ग बनाते हैं। ज्यादा बारिश होने पर स्थिति जस की तस हो जाती है।
रपटा बनने से नेवारीकला के अलावा टेकापार, खैरवाही, खरथुली, ओरमा, मेड़की व आसपास गांव के ग्रामीणों को लाभ होगा। लाटाबोड़-दुर्ग मार्ग पर पहुंचने लोग नेवारीकला शार्टकट मार्ग का उपयोग करते हैं। नेवारीकला सहित आसपास गांव के स्कूली बच्चे ओरमा, मेड़की होते हुए बालोद में संचालित स्कूलों व आम लोग काम के सिलसिले में पहुंचते हैं। नदी में पानी होने से 6 किमी अतिरिक्त सफर करना पड़ता है।
तांदुला जलाशय से छोड़ा पानी, अस्थाई पुलिया बही
पैरी एनीकट से ग्रामीणों ने पानी की मांग की। सिंचाई विभाग ने एक सप्ताह पहले ही तांदुला जलाशय से 100 क्यूसेक पानी छोड़ा है। जिससे नेवारीकला में बनाई गई अस्थाई पुलिया ही बह गई। ग्रामीणों को जिला मुख्यालय घूमकर जाना पड़ रहा है या नदी के पानी को पार करते जाना पड़ रहा है। इस तरह की स्थिति अन्य गांवों की भी है, जहां पुल निर्माण स्वीकृत हुआ, लेकिन काम शुरू नहीं हुआ है।
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