कांग्रेस सरकार के समय किसानों को 10 हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि मिलती थी। यह मदद सिर्फ धान नहीं, बल्कि गन्ना, मक्का, दलहन, तिलहन, कोदो, कुटकी, रागी और फलदार पेड़ों की खेती पर भी मिलती थी। इससे किसान धान पर निर्भर न होकर विविध फसलों की ओर बढ़ रहे थे।
उन्होंने आरोप लगाया कि
भाजपा सरकार बनते ही किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाएं बंद कर दी गईं। कर्ज माफी, 2800 रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदी, सस्ती बिजली, खाद और बीज की सुगमता जैसी राहत खत्म कर दी गईं। ऐसे में किसान आर्थिक रूप से कमजोर हो गए। रबी की फसल भी नहीं ले पाए। अब जब किसानों में असंतोष बढ़ा, तब सरकार को गलती का एहसास हुआ है।
किसान उन्नति’ को बताया कॉपी-पेस्ट ‘योजना
कृषि उन्नति योजना उसी पुरानी न्याय योजना की कॉपी है। बस नाम नया है। ठाकुर ने तंज कसते हुए कहा, इसे कहते हैं लौट के बुद्धू घर को आए। उनका कहना है कि भाजपा के पास किसानों को लेकर कोई मौलिक योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि किसान सब समझते हैं। उन्हें योजनाओं की असली मंशा और परिणाम दोनों का एहसास हो चुका है। भाजपा सरकार को किसानों से किए गए वादों को निभाना होगा। सिर्फ नाम बदलने से खेतों में पैदावार नहीं बढ़ेगी।