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बैंगलोर

पीएसएलवी सी-61 विफलता का देश के अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर नहीं होगा असर

विफलता की जांच के लिए गठित समिति की रिपोर्ट आने तक ग्राउंडेड रहेगा पीएसएलवी
अगले महीने जीएसएलवी से निसार उपग्रह लांच करने की तैयारी

बैंगलोरMay 31, 2025 / 07:57 pm

Rajeev Mishra

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने साफ किया है कि पीएसएलवी सी-61 की विफलता का असर देश के अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर नहीं पड़ेगा। केवल पीएसएलवी से जुड़े मिशन अभी लांच नहीं होंगे। जब तक राष्ट्रीय विफलता निवारण समिति की रिपोर्ट नहीं आ जाती और खामियों को दूर नहीं कर लिया जाता तब तक पीएसएलवी ग्राउंडेड रहेगा। लेकिन इसरो के अन्य मिशनों पर उसका कोई असर नहीं होगा।
इस बीच पीएसएलवी सी-61 की विफलता की जांच के लिए एक समिति गठित कर दी गई है जिसके अगले महीने मध्य तक रिपोर्ट सौंपने की उम्मीद है। पिछले 18 मई को पीएसएलवी सी-61/ईओएस-09 मिशन लांच किए जाने के 6 मिनट 20 सेकेंड बाद ही पथ से विचलित हो गया। इसरो के उच्च पदस्थ अधिकारियों के मुताबिक पूरे रॉकेट की कार्यप्रणाली की व्यापक समीक्षा की जाएगी। विफलता की जांच के लिए गठित समिति में भारतीय विज्ञान संस्थान (आइआइएससी) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के प्रमुख वैज्ञानिक भी हैं। समिति को पीएसएलवी सी-61 लांच मिशन से जुड़े आंकड़ें साझा कर दिए गए हैं। इसके अलावा इसरो ने आंतरिक समितियां भी गठित की है जो पीएसएलवी के हर पहलू की जांच करेंगी। दरअसल, पीएसएलवी इसरो का सबसे भरोसेमंद रॉकेट है जिसकी सफलता दर 95 फीसदी से अधिक है। अभी तक पीएसएलवी के केवल 3 मिशन विफल हुए हैं।

नासा-इसरो साझेदारी को अगले महीने मिलेगी नई ऊंचाई

इस बीच इसरो जून महीने में नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर राडार (निसार) उपग्रह लांच करने की तैयारी कर रहा है। यह मिशन 18 जून को लांच किया जा सकता है। इसरो ने पहले ही 18 जून से 17 जुलाई तक के लिए नोटाम नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। यह मिशन इसरो के प्रक्षेपणयान जीएसएलवी एफ-16 से लांच किया जाएगा। इस मिशन की तैयारियां श्रीहरिकोटा में चल रही हैं। इससे पहले 8 जून को एक्सिओम-4 मिशन लांच होगा जिसे स्पेसएक्स के प्रक्षेपणयान फाल्कन-9 से लांच किया जाएगा। इस मिशन के तहत भारतीय गगनयात्री शुभांशु शुक्ला के साथ कुल चार अंतरिक्षयात्री अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर जाएंगे। शुभांशु शुक्ला इस मिशन के पायलट होंगे। कुल मिलाकर अगला महीना अंतरिक्ष में इसरो-नासा साझेदारी के दृष्टिकोण से काफी अहम होगा।

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