इस अवसर पर सभा को संबोधित करते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव और विकास आयुक्त उमा महादेवन ने विस्तृत स्टेट फोकस पेपर जारी करने में नाबार्ड के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने राज्य में ग्रामीण आजीविका, कृषि क्षेत्र और वित्तीय समावेशन को मजबूत करने के लिए नाबार्ड की निरंतर प्रतिबद्धता की भी सराहना की। उन्होंने एसएलबीसी और बैंकों को कृषि ऋण प्रवाह को बढ़ाने के लिए इन आकलनों को ऋण रणनीतियों में एकीकृत करने की सलाह दी। उन्होंने किसानों, एमएसएमई और ग्रामीण उद्यमियों को वित्तीय पहुंच प्रदान करने में बैंकिंग क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया।नाबार्ड कर्नाटक क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य महाप्रबंधक केवीएसएसएलवी प्रसाद राव ने कहा कि वर्ष 2025-26 के दौरान कर्नाटक के लिए राज्य के प्राथमिकता क्षेत्र में 4.47 लाख करोड़ की ऋण संभावना आकलित की गई हैं। इसमें से कृषि क्षेत्र का हिस्सा 2.04 लाख करोड़ रुपए (46 प्रतिशत), एमएसएमई का हिस्सा 1.88 लाख करोड़ रुपए (42 प्रतिशत) तथा अन्य प्राथमिकता क्षेत्र का हिस्सा 0.56 लाख करोड़ रुपए (12 प्रतिशत) है। वर्ष के दौरान राज्य को 2056 करोड़ रुपए की आरआईडीएफ सहायता वाली 298 ग्रामीण आधारभूत संरचना परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक की क्षेत्रीय निदेशक सोनाली सेन गुप्ता ने परामर्शी दृष्टिकोण के साथ स्टेट फोकस पेपर जैसा व्यापक दस्तावेज तैयार करने में नाबार्ड के प्रयासों की सराहना की। भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य महाप्रबंधक जूही स्मिता सिन्हा ने आश्वासन दिया कि मुख्य अतिथि के आह्वान अनुसार बैंकिंग समुदाय राज्य में ऋण संभाव्यता को साकार करने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाएगा।एसएलबीसी, कर्नाटक के संयोजक एम. भास्कर चक्रवर्ती ने प्रत्येक जिले के लिए क्रेडिट अनुमानों का आकलन करने और इसे स्टेट फोकस पेपर के रूप में एकत्र करने के सावधानीपूर्वक प्रयास के लिए नाबार्ड की सराहना की और कहा कि वर्ष 2025-26 के लिए जिले-वार वार्षिक के्रडिट योजना तैयार करते समय अनुमानों को ध्यान में रखा जाएगा। सेमिनार के दौरान, नाबार्ड के “जीवा” – कृषि पारिस्थितिक पहल पर एक लघु फिल्म का विमोचन किया गया। इसके बाद “वित्तीय समावेशन- कर्नाटक में सफलता की शुरुआत” और “कर्नाटक में ग्रामीण हाट और ग्रामीण मार्ट के माध्यम से नाबार्ड की विपणन पहल” शीर्षक से दो पुस्तिकाओं का अनावरण किया गया।