जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने लक्ष्य सेन की विशेष अनुमति याचिका को स्वीकार करते हुए आगे की कार्रवाई पर रोक लगा दी। अदालत ने बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन, उनके परिवार के सदस्यों और कोच के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया। पीठ ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने के साथ ही मामले की सुनवाई 16 अप्रेल तक स्थगित कर दी।
लक्ष्य सेन, उनके भाई चिराग सेन, पिता धीरेंद्र के सेन, मां निर्मला डी सेन और कोच यू विमल कुमार के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि उन्होंने दोनों भाइयों – लक्ष्य और चिराग के जन्म दस्तावेजों में हेराफेरी की है। दर्ज मामले में आरोप लगाया जा रहा है कि उनकी उम्र ढाई साल कम कर दी गई ताकि वे जूनियर टूर्नामेंट में भाग ले सकें।
लक्ष्य सेन के खिलाफ नागराज एम.जी. ने शिकायत की थी, जिसके बाद दिसंबर 2022 में एफआईआर दर्ज की गई। नागराज बेंगलूरु में एक बैडमिंटन अकादमी चलाते हैं। नागराज की शिकायत के आधार पर आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 471 (जाली रिकॉर्ड को असली के तौर पर इस्तेमाल करना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई।
बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन के आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, लक्ष्य सेन का जन्म 2001 में हुआ था। लेकिन नागराज ने दावा किया कि भारतीय बैडमिंटन स्टार का जन्म 1998 में हुआ था। कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एमजी उमा ने 19 फरवरी को लक्ष्य सेन और अन्य की रिट याचिका को खारिज करते हुए कहा, जब प्रथम दृष्टया रिकॉर्ड में ऐसी सामग्री रखी गई है जो अपराध का गठन करती है, तो मुझे जांच को रोकने या आपराधिक कार्यवाही की शुरुआत को रद्द करने का कोई कारण नहीं दिखता है।
उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता की ओर से न्यायालय के समक्ष पर्याप्त सामग्री रखी गई है जो उचित प्राधिकारी से सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त दस्तावेज हैं। ऐसी परिस्थितियों में, मुझे याचिकाओं पर विचार करने का कोई कारण नहीं दिखता। इससे पहले 2022 में हाई कोर्ट ने मामले की जांच पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
पूर्व जूनियर वर्ल्ड नंबर 1 खिलाड़ी लक्ष्य सेन ने विश्व चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ गेम्स सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक जीते हैं, और अर्जुन पुरस्कार भी प्राप्त किया है। उनके पिता डीके सेन भी बैडमिंटन कोच हैं।