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राजस्थान का वीर सपूत राजेश पंचाल शौर्य पुरस्कार से सम्मानित, ‘गम’ के बीच पाया राष्ट्रपति से शौर्य चक्र

असिस्टेंट कमांडेंट राजेश पंचाल यह सम्मान लेने अपने पिता के साथ नई दिल्ली रवाना हुए ही थे कि पिता केशवचंद्र पंचाल का मार्ग में ही ह्रदयाघात के कारण निधन हो गया।

बांसवाड़ाMay 24, 2025 / 03:50 pm

Santosh Trivedi

Commandant Rajesh Panchal

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों द्वारा शौर्य चक्र से सम्मानित होते असिस्टेंट कमांडेंट राजेश पंचाल, फोटो- पत्रिका नेटवर्क

बांसवाड़ा। खमेरा कस्बे का गौरव उस वक्त और बढ़ गया, जब यहां के निवासी असिस्टेंट कमांडेंट राजेश पंचाल को दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में ‘रक्षा अलंकरण समारोह 2025’ में उनकी वीरता के लिए शौर्य पुरस्कार से नवाजा गया। पंचाल को यह पुरस्कार छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के साथ हुई एक भीषण मुठभेड़ में उनके साहस, नेतृत्व और अद्वितीय शौर्य के लिए दिया गया। मुठभेड़ के दौरान वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे, फिर भी उन्होंने डटकर नक्सलियों का मुकाबला किया और अपने साथियों को सुरक्षित रखा।

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पिता का सपना, जो अधूरा रह गया

इस सम्मान ने उनके परिवार और पूरे वागड़ को गौरवान्वित होने की वजह तो दी, मगर उनके पिता उस पल के साक्षी नहीं बन सके। राजेश पंचाल यह सम्मान लेने अपने पिता के साथ नई दिल्ली रवाना हुए ही थे कि पिता केशवचंद्र पंचाल का मार्ग में ही ह्रदयाघात के कारण निधन हो गया। यह दुखद घटना उस समय हुई, जब केशवचन्द्र अपने बेटे को राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित होते देखना चाहते थे।
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भावनाओं पर काबू रख राजेश पहुंचे राष्ट्रपति भवन

गहरे दुख के बावजूद राजेश ने अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखते हुए राष्ट्रधर्म को प्राथमिकता दी। उन्होंने अपने पिता का अंतिम संस्कार कर पुनः कर्तव्यों की ओर लौट चले। उन्होंने दिल्ली पहुंचकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों से सम्मान प्राप्त किया।

वीरता और सेवा की विरासत

राजेश का परिवार एक ‘सेनानी परिवार’ के रूप में जाना जाता है। उनके दादा स्व. गोवर्धनलाल भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके थे। उनके पिता केशवचंद्र अखिल विश्व गायत्री परिवार से जुड़कर समाज सुधार के कार्यों में सक्रिय रहे। आदिवासी क्षेत्र में उन्होंने धर्म और संस्कृति की अलख जगाई।

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