1805 में नवाब अहमद अली खान ने विकसित की थी नस्ल रामपुर के नवाब अहमद अली खान बहादुर (1794-1840) शिकार के बेहद शौकीन थे। उन्होंने 1805 में इस कुत्ते की नस्ल को विकसित किया, ताकि यह तेंदुआ और भेड़िया जैसे खतरनाक शिकारियों का सामना कर सके। रामपुर हाउंड की सबसे बड़ी विशेषता इसकी तेज रफ्तार और लंबी दूरी तक बिना थके दौड़ने की क्षमता है। यह कुत्ता 60 किमी प्रति घंटे की गति से 5-6 किलोमीटर तक दौड़ सकता है। इसकी खोपड़ी छोटी, गर्दन लंबी, और चौड़ा सीना होता है। शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की अधिकता के कारण यह बेहद फुर्तीला और शक्तिशाली शिकारी होता है। इसके शरीर पर अनोखी धारियां होती हैं, जो इसे अन्य कुत्तों से अलग पहचान देती हैं।
2021 में इरशाद अली ने दिलाई अंतरराष्ट्रीय पहचान डॉग प्रेमी और सिंचाई विभाग के सेवानिवृत्त इंजीनियर इरशाद अली खां ने 2021 में इस नस्ल को वर्ल्ड डॉग फेडरेशन में पंजीकृत कराया, जिससे इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली। इरशाद अली वर्ष 2005 में बहराइच से रामपुर आए थे और तभी से वह इस ब्रीड को संरक्षित करने में जुटे हैं। वर्तमान में वह लखनऊ में रहते हैं और उनके पास रामपुर हाउंड के 6-7 कुत्ते हैं।
केंद्र सरकार ने जारी किया डाक टिकट रामपुर हाउंड की ऐतिहासिक महत्ता को देखते हुए, भारत सरकार ने 2005 में इस पर डाक टिकट जारी किया था। इसके अलावा, मध्यप्रदेश पुलिस ने इसे अपने डॉग स्क्वाड में शामिल किया है। दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों में भी यह नस्ल पाई जाती है।
रामपुर हाउंड की विशेषताएं:
1805 में नवाब अहमद अली खान ने इस नस्ल को तैयार किया। 60 किमी प्रति घंटे की गति से 5-6 किलोमीटर तक दौड़ सकता है। कभी रामपुर में इस नस्ल के 6000 से अधिक कुत्ते थे। 2021 में इरशाद अली ने इसे वर्ल्ड डॉग फेडरेशन में पंजीकृत कराया। ऊंचाई: 22-30 इंच, वजन: 23-32 किग्रा। जीवनकाल: 10-12 वर्ष। यह नस्ल शिकार में माहिर मानी जाती है।