रिपोर्ट में सोनकर पर बैक डेट में सादे कागज पर फर्जी आदेश पारित करने, बिना बारकोड, बिना पोर्टल अपलोड, और बिना विधिक प्रक्रिया पूरी किए आदेश पारित करने के गंभीर आरोप सिद्ध हुए हैं।
जांच का खुलासा
26 जून को वर्तमान तहसीलदार राघवेश मणि त्रिपाठी ने डीएम को 12 नामांतरण प्रकरणों की फाइलें सौंपी थीं। इन फाइलों की जांच में पाया गया कि आदेश फाइलों पर अरुण कुमार सोनकर के हस्ताक्षर तो थे, लेकिन तारीख अंकित नहीं थी। इतना ही नहीं, आदेश बिना शपथ पत्र, बिना इश्तेहार और बिना किसी वैधानिक सुनवाई के पारित किए गए थे। इन फाइलों को कुछ अधिवक्ताओं द्वारा तहसील कार्यालय में लाकर रखा गया था, जिससे स्पष्ट होता है कि यह पूरा मामला एक सुनियोजित तरीके से नियमों की अनदेखी कर तैयार किया गया दस्तावेजी फर्जीवाड़ा है।
उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट
डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने इस मामले की पूरी रिपोर्ट राजस्व परिषद, लखनऊ के आयुक्त एवं सचिव को प्रेषित की है। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि न्यायिक प्रक्रिया के नाम पर गंभीर धोखाधड़ी और प्रशासनिक आचरण का उल्लंघन किया गया है। इसलिए पूर्व तहसीलदार के खिलाफ कठोर कार्रवाई आवश्यक है।
आगे की कार्रवाई
प्रशासन ने मामले में एफआईआर दर्ज कर विधिक कार्यवाही शुरू करने के निर्देश दे दिए हैं। साथ ही संबंधित न्यायिक रिकॉर्ड की डिजिटल व मैन्युअल जांच भी शुरू कर दी गई है, ताकि पता चल सके कि और कितने मामलों में इस तरह का फर्जीवाड़ा किया गया है।