केंद्र की इस अधिसूचना से प्रदेश के उद्यमियों को बड़ा झटका लगा है। वही गुजरात के मोरवी उद्यमियों को फायदा होगा। हालांकि केंद्र के इस निर्णय से राज्य सरकार के राजस्व पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन यह सभी खदान अब केंद्र के अधीन रहेगी।
खातेदारी में लीज नहीं अब नीलामी होगी माइनर से मेजर मिनरल में बदलने का नियम अब कोयला व आयरन ओर की तरह लागू होंगे। बैराइट्स, क्वार्ट्ज-फेल्सपार व अभ्रक की खातेदारी में लीज नहीं हो सकेगी। इन खदानों की खान विभाग नीलामी करेगा। पहले लीज किसी अन्य को ट्रांसफर होती थी वह अब नहीं होगी। इंडियन ब्यूरो ऑफ़ माइंस अजमेर का दखल बढ़ जाएगा। क्वार्ट्ज-फेल्सपार व अभ्रक एक कुटीर उद्योग था, जो पहले से ही ऑक्सीजन पर था, वह समाप्त होगा। 6 हजार ग्राइडिंग इकाइयों का चलाना अब मुश्किल होगा। यह सभी बंद होने के कगार पर आ जाएंगे। इसका असर काम कर रहे दो लाख लोगों पर पडे़गा। क्वार्ट्ज-फेल्सपार का कच्चा माल गुजरात के मोरवी टाइल इंडस्ट्री में जाता है। इससे वहा के उद्यमियों को फायदा होगा। इसकी रॉयल्टी अब केंद्र सरकार निर्धारित करेंगी।
कच्चे माल की बढ़ानी होगी कीमत गंगापुर खनिज उद्योग संघ के अध्यक्ष शेषकरण शर्मा का कहना है कि केंद्र सरकार ने छोटे उद्योगों को झटका दिया है। इन पर रॉयल्टी निर्धारण का क्षेत्राधिकार केंद्र के पास होगा। उद्योगों को बचाने के लिए सभी को एक जुट होकर एल्यु एडिशन पर ज़ोर देना होगा। कच्चे माल को गुजरात भेजने के लिए कीमत तय करनी होगी। मिनरल्स उद्यमी दिनेश कुमावत व अर्जुन सिंह का कहना है कि छोटे उद्योगों को बचाने के लिए अब सभी को एक जुट होना होगा। सरकार ने उद्यमियों को अंधेरे में रखा है। क्योंकि खान मंत्रालय ने यह कदम 29 जनवरी को केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन को मंजूरी दिए जाने के बाद उठाया है। इसकी जानकारी किसी भी नेता व मंत्री को नहीं थी। जबकि प्रदेश के कई राजनेताओं का इन खदानों में हस्तक्षेप है।