एमएसएमई उद्योगों से जुड़े व्यापारियों का कहना है कि सरकार ने 45 दिन में भुगतान का नियम तो बना दिया, लेकिन कोई भी इसकी पालना नहीं कर रहे है। इससे छोटे व्यापारियों को भी भुगतान को लेकर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। एक उद्यमी ने बताया कि भारत देश के साथ राजस्थान व भीलवाड़ा के कई एमएसएमई उद्योग के भुगतान बकाया चल रहा है। यह राशि पांच दिन के भीतर उनके बैंक खाते में जमा नहीं करवाते है तो उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। एक अप्रेल 2025 से बकाया राशि पर इनकम मानते हुए टैक्स वसूल किया जाएगा। जब तक हर व्यापारी के करोड़ों रुपए इनकम टैक्स में जमा रहने से व्यापार से ब्लॉक हो जाएंगे। उद्योगपति व व्यापारी के इन एमएसएमई उद्योगों को करोड़ों की देनदारी है।
यदि 31 मार्च 2025 तक रकम का भुगतान नहीं होता है तो यह सारी देनदारी धारा देनदार की इनकम में जोड़ दी जाएगी। इस पर आयकर के नियमानुसार 30 से 33 प्रतिशत टैक्स देना पड़ेगा। इससे इन एमएसएमई से सामान लेने वाले व्यापारी व उद्योगपतियों को बहुत बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
50 करोड़ का है टर्न ओवर, तो इस कैटेगरी में होंगे शामिल सीए सोनेश काबरा ने बताया कि एमएसएमई उद्योग को यदि तय सीमा से पहले भुगतान नहीं किया, तो आपने जो भी खर्चा अपने प्रॉफिट-लॉस अकाउंट के अंदर क्लेम किया है, वही आपकी इनकम मान ली जाएगी। एमएसएमई मंत्रालय के अनुसार जिसका प्लांटेशन मशीनरी में 10 करोड़ तक निवेश है। साथ में पिछले फाइनेंशियल ईयर में टर्न ओवर 50 करोड़ का है, वे स्मॉल उद्यम के कैटेगरी में आएंगे।