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शहर में नगर निगम, बीडीए, हाउसिंग बोर्ड, पीडब्ल्यूडी जैसी एजेंसी है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में इनके काम करने को लेकर विशेष अनुमति व अन्य जमीनी दिक्कतें है। मॉनीटरिंग कौन करेगा ये भी बड़ा सवाल है।
राजसात (सरकारी कब्जा) के नियम
● नगरीय निकाय क्षेत्र में मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम, 1961 की धारा 305, 326 व 327 अवैध रूप से विकसित भूमि या संरचना को तोडऩे या उसे अपने अधीन लेने का प्रावधान है। इसके लिए जिला योजना, नगर निगम फंड से काम होता है। प्लॉट धारकों से आंशिक विकास शुल्क लिया जा सकता है। ● ग्रामीण क्षेत्र में अवैध कॉलोनी मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 57 के तहत प्रशासन को अधिग्रहण का अधिकार होता है। इसे विकसित करने वाले पर मोटा जुर्माना लगाने के साथ ही जेल का प्रावधान है।
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भोपाल विकास प्राधिकरण(Bhopal Development Authority) की विकसित कॉलोनी में भी गड़बड़ी हो सकती है। प्राधिकरण की सबसे पॉश व प्रमुख कॉलोनी शाहपुरा के बी व सी सेक्टर में निगम ने भवन अनुज्ञा ही देना बंद कर दी। अब लोग पहुंच रहे हैं तो इंकार किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यहां तय नक् शे से विपरित निर्माण की स्थिति है। यानि बीडीए ने टीएंडसीपी के नक् शे के विपरित काम किया है। मामला अभी हाईकोर्ट में है और जब तक यहां से निर्णय नहीं आ जाता, यहां अनुमति बंद रहने की बात कही जा रही है। मामले में बीडीए के सीइओ श्यामबीर सिंह से पूछा गया कि ऐसा कैसे हो गया।
प्रशासन अवैध कॉलोनियों को लेकर मुहिम शुरू कर रहा है। कोशिश है कि शुरुआत में ही रोक दिया जाए। हम अब जिम्मेदार पर कार्रवाई तय करेंगे। अभी सभी का पक्ष सुनने के बाद इनपर आगे का निर्णय होगा। –कौशलेंद्र विक्रमसिंह, कलेक्टर