अमिताभ ने खुद को जबलपुर के नेपियर टाउन का निवासी बताकर फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाया। इसके आधार पर आरक्षण का लाभ लेकर पुलिस विभाग में भर्ती हो गया। वह 25 साल से मध्यप्रदेश पुलिस में नौकरी कर रहा है। जांच में सामने आई कि अमिताभ असल में ईसाई है पर उसने गौंड़ समाज का जाति प्रमाण पत्र बनवाकर खुद को आदिवासी बताकर सरकारी नौकरी पा ली।
एसआई अमिताभ सिंह लोगों के सामने खुद को राजपूत बताता था। सन 2019 में भी उसके जाति प्रमाण पत्र के फर्जी होने की शिकायत की गई थी लेकिन तब कोई जांच नहीं हुई। 2024 को भोपाल निवासी प्रमिला तिवारी ने अमिताभ सिंह की फर्जी जाति प्रमाण पत्र की कमिश्नर ट्राइबल से फिर से शिकायत की।
विभाग ने अमिताभ सिंह के प्रमाणपत्र की जांच के लिए जबलपुर कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना को पत्र भेजा। कलेक्टर ने एसडीएम रघुवीर सिंह मरावी को जांच सौंपी जिन्होंने अपनी रिपोर्ट में अमिताभ सिंह के जाति प्रमाण पत्र को फर्जी बताया।
अमिताभ थियोफिलस ने 1 जुलाई 1980 को कक्षा पहली में दाखिला लेते समय धर्म ईसाई और जाति गोंड एसटी लिखवाई। एसडीएम ने अपनी जांच में पाया कि अमिताभ के रीति रिवाज, संस्कृति गोंड जनजातियों के अनुसार नहीं थे। उनका कोई भी रिश्तेदार भी गोंड जनजाति का नहीं है। उसने गलत जानकारी के आधार पर 1997-98 में गोंड जनजाति का प्रमाण पत्र बनवाया। एसडीएम रघुवीर सिंह मरावी ने अमिताभ सिंह का जाति प्रमाण निरस्त करने और उसके खिलाफ कार्रवाई करने की अनुशंसा की है।