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MP की बिजली होगी महंगी ! 7.5% तक दरों को बढ़ाने का प्रस्ताव, जानें क्या हैं कारण

Electricity in MP: मध्य प्रदेश में बिजली कंपनियों (डिस्कॉम) ने सरकार के समक्ष बिजली दरों को 7.5 प्रतिशत तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है।

भोपालFeb 03, 2025 / 08:10 pm

Akash Dewani

Electricity in MP will get expensive as Discom proposed to increase the rates
Electricity in MP: मध्य प्रदेश के नागरिकों को जल्द ही बड़ा झटका लग सकता है। प्रदेश की बिजली कंपनियों (डिस्कॉम) ने बिजली की कीमतें बढ़ाने का प्रस्ताव सरकार के सामने रखा है। इस प्रस्ताव के पीछे का कारण साल 2023-24 में बिजली कंपनियों का 4344 करोड़ रूपए का घाटा होना बताया गया है। इस घाटे की भरपाई के लिए कंपनियों ने 7.5 प्रतिशत तक बिजली दरों को बढ़ाने के लिए याचिका दायर की है।
बिजली कंपनियों ने अपने याचिका में बताया कि ‘साल 2023-24 में उनका खर्चा अनुमानित लागत से ज्यादा है, जिसके लिए दरों में बढ़ोतरी आवश्यक है।’बता दें कि हर साल बिजली की कीमतें नियामक द्वारा तय की जाती हैं। यह दरें अनुमानित उत्पादन लागत पर आधारित होती है। साल के अंत में बिजली कंपनियां (डिस्कॉम) वास्तविक खातों के आधार पर कीमतों को एडजस्ट करने के लिए नियामक के समक्ष ट्रू-उप पिटीशन (true-up petition) दायर करती है।
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याचिका पर रिटायर्ड चीफ इंजीनियर की आपत्ति

एमपी जेनको के रिटायर्ड अतिरिक्त चीफ इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल ने इस याचिका पर नियामक के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने नियामक से याचिका को खारिज करने की अपील की है। राजेंद्र अग्रवाल ने दावा किया है अगर ट्रू-अप पिटीशन का विश्लेषण किया जाए, तो यह स्पष्ट है कि डिस्कॉम ने लगभग 7,293 करोड़ रूपए अतिरिक्त मांगे हैं। इसमें 2628 करोड़ रूपए के पूरक बिजली खरीद बिल के रूप में शामिल है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं किया गया कि भुगतान किसे किए गए हैं।
अग्रवाल ने बताया कि बिजली खरीद बिलों में समाधान के लिए 903 करोड़ रूपए मांगे गए हैं, लेकिन इसका कोई विवरण नहीं दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा , एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी की लागत के रूप में 1207 करोड़ रूपए की मांग की गई है, लेकिन इसका कोई भी जानकारी नहीं दी गई है। इसी तरह वितरण हानि में यदि नियामक द्वारा अनुमत हानि और वास्तविक हानि के बीच के अंतर पर विचार किया जाए तो डिस्कॉम ने 2038 करोड़ रूपए अतिरिक्त मांगे हैं। अग्रवाल का कहना है कि टैरिफ में बढ़ोतरी की जगह घटाया जाना चाहिए।

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