स्थिति के मुताबिक भर्ती होंगे पेशेंट
डॉ. पूर्वा ने बताया कि पहले पांच माह और उससे अधिक माह की गर्भावस्था वाली महिलाओं की अलग-अलग ओपीडी बनाई गई है। इस सुविधा के अनुसार हाई रिस्क महिला का वरिष्ठ डॉक्टर की देखरेख में इलाज किया जाता है। उन्होंने बताया कि ऐसा करने से महिलाओं लंबी लाइन से छुटकारा मिल जाएगा। प्रतिदिन यहां 350 से 400 महिलाएं इलाज के लिए आती है। ये भी पढ़ें: रेलवे का ऐलान, एमपी के 4 बड़े स्टेशनों से होकर चलेगी स्पेशल ट्रेन मरीजों को मिलेगा पर्याप्त समय
अस्पताल प्रबंधन गर्भवती महिलाओं की स्थिति के मुताबिक उन्हें दो भागों में उपचार करता है। इससे पेशेंट और डॉक्टर दोनों को राहत मिलती है। एक तरफ मरीज को बेहतर इलाज मिलता है, तो दूसरी ओर डॉक्टर तनाव मुक्त होकर उपचार करते हैं।- डॉ. कविता एन सिंह, डीन, गांधी मेडिकल कॉलेज