एमपी में 15,386 ने आत्मघाती कदम उठाया। हालांकि यह कोई हल नहीं। जब प्रताडऩा का नागपाश बढऩे लगे तो शुरुआत में ही तीव्र विरोध ही इलाज है। पत्रिका रक्षा कवच अभियान के तहत आज हम बात कर रहे हैं प्रताडऩा की। जबलपुर की घटना और विशेषज्ञों से जानते हैं कि प्रताडऩा का क्या असर होता है…
जायदाद के लिए छीना सुख-चैन
महिला फिजियोथेरेपिस्ट की शादी 2017 में सुपारी व्यवसायी शीलचंद जैन के बेटे विपुल से हुई। थी। पिता की मौत के बाद पति, ससुर, सास, ननद सहित अन्य सदस्य पिता की संपत्ति में हिस्सेदारी का दबाव बनाने लगे। मना किया तो प्रताडि़त किया जाने गया। 3 साल तक मायके वालों से संपर्क नहीं करने दिया
जैसे-तैसे बची जान
अगस्त 2023 से प्रताडऩा का असहनीय दौर शुरू हुआ। अक्टूबर में रात में कमरे में बंद कर पीटा गया। ऐसा ही बेटे के साथ हुआ। बेटे का इलाज करीब एक हते तक चला। लार्डगंज थाने में शिकायत पर पुलिस ने ससुर, पति सहित अन्य पर केस दर्ज किया।
मामला कोर्ट में
पीडि़ता के भाई ने पत्रिका को बताया मामला सुलझाने के लिए समाज की पंचायत में भी प्रकरण रखा था, लेकिन कोशिशें बेकार गईं। बहन हमारे साथ ही रह रही हैं। मामला कोर्ट में है। न्याय के लिए लड़ाई जारी रखे हुए हैं।
प्रताड़ना ऐसी
1.डराना, धमकाना 2.अपमानित करना 3.मौखिक दुव्र्यवहार 4.बहिष्कार 5.दुर्भावनापूर्ण अफवाह फैलाना 6.मानसिक उत्पीडऩ 7.जातिगत अपमान 8.अभद्र कमेंट वादे से मुकरना
बच्ची से रेप के बाद मृत समझ फेंक गए थे आरोपी, परिवार अब भी डर के साये में
इंदौर. घटना जून 2018 को इंदौर के पास की है। सात वर्षीय बच्ची स्कूल से घर जाने के लिए परिजन का इंतजार कर रही थी। इस बीच आरोपी मिठाई खिलाने का झांसा देकर जंगल ले गए और दुष्कर्म किया। धारदार हथियार से वार भी किया। मरा समझ झाडिय़ों में फेंक दिया था। लंबे इलाज के बाद बच्ची मुश्किल से बची। घटना के बाद शहर उबला, परिवार वहां से इंदौर आ गया, लेकिन डर अब भी सताता है। परिजन मानसिक रूप से परेशान रहते हैं। घटना के दो आरोपी जेल में हैं। सुनवाई चल रही है। एक आरोपी पर पहले का एक आपराधिक मामला दर्ज था।
इलाज में परेशानी
प्रशासन ने पीडि़त परिवार को इंदौर में बसाया। एक दुकान उपलब्ध कराई। बच्ची के पिता बताते हैं। बच्ची का गला इतनी बेरहमी से काटा था कि आज भी उसके निशान नजर आते है। इलाज में आर्थिक परेशानी आ रही है। शहर बदला, लेकिन डर खत्म नहीं हुआ। प्रशासन ने न्याय का भरोसा दिलाया था, बच्ची के बयान हो गए लेकिन अभी न्याय का इंतजार है। बच्ची को पढ़ाने में मुश्किल-बच्ची निजी स्कूल में पढ़ रही है। कई बार फीस की दिक्कत आती है। समाज से कोई सहयोग नहीं मिलता। सरकार ने घटना के समय कई वादे किए थे, इसमें सरकारी नौकरी भी शामिल है लेकिन समय के साथ भूल गए।
जीवन हो जाता है तहस-नहस
शारीरिक प्रताडऩा तो दिखती है, लेकिन मानसिक प्रताडऩा अदृश्य रहती है। इस अदृश्य प्रताडऩा के घाव कहीं गहरे होते हैं। इसके असर पर पत्रिका ने विशेषज्ञों से चर्चा की। Q. मानसिक प्रताडऩा क्या है? A. किसी से बार-बार ऐसी बातें कहना, जो उसे दु:खी करें। व्यक्त की जीवनचर्या प्रभावित होने लगे। अवसाद में जाने लगे। Q. प्रताड़ना का महिला के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
A. पूरा जीवन ही प्रभावित होने लगता है। भावनात्मक व्यवहार, खुद के प्रति उसकी जिम्मेदारी, उसके काम, परिवार सबकुछ प्रभावित होता है। जब महिला को मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जाता है तो उसके जीवन में इसका असर शारीरिक प्रताड़ना से 10 गुना ज्यादा होता है। वह अपना स्व अस्तित्व खोने लगती है। उसे खुद पर भरोसा ही नहीं रहता कि वह इन स्थितियों से निकल सकती है। खुद के निर्णय पर शक करने लगती है। जिम्मेदारियों से डरने लगती है। शारीरिक समस्याएं भी होने लगती हैं। कभी-कभी महिला इस कदर अवसाद में जा सकती है कि उसके मन में जीवन समाप्त करने के विचार भी आने लगते हैं।
Q. महिला को अवसाद में जाने से कैसे बचा सकते हैं?
A. सबसे जरूरी तो यह है कि अपनी बात कहें। घर में, ऑफिस में या कहीं भी यदि कोई अत्यधिक मानसिक तनाव दे रहा है तो, किसी अपने से शेयर करें। यह न सोचें कि लोग क्या कहेंगे? आपकी बदनामी होगी, यह सब छोड़कर अपनी बात रखें। आत्मविश्वास जगाएं और नो कहें। जब भी लगे कि आपके साथ गलत हो रहा है। मानसिक तनाव हो रहा है, लगातार बना हुआ है तो इसे पहचानें। बचने के तरीके अपनाएं। आप ऐसे समूहों से जुड़ सकती हैं, जो इस पर काम कर रहे हैं।