जब आरोपियों ने महिला को अर्धनग्न कर गांव में कराई थी परेड…
Patrika Raksha Kavach Abhiyan : बात का बतंगड़ बनाना पड़ेगा। बात दूर तलक भी ले जानी पड़ेगी। महिलाओं पर अपराधों में हालात ही कुछ ऐेसे बनते जा रहे हैं। वे मन मारकर दूसरों की शर्तों पर जिंदगी जीते-जीते शारीरिक हिंसा का शिकार हो रही हैं। लोक-लाज खोने का डर, समाज में प्रतिष्ठा धूमिल होने के खौफ से ऐसी हजारों, लाखों महिलाओं का दर्द न्याय की आस में दम तोड़ रहा है…।
Patrika Raksha Kavach Abhiyan : बात का बतंगड़ बनाना पड़ेगा। बात दूर तलक भी ले जानी पड़ेगी। महिलाओं पर अपराधों में हालात ही कुछ ऐेसे बनते जा रहे हैं। वे मन मारकर दूसरों की शर्तों पर जिंदगी जीते-जीते शारीरिक हिंसा का शिकार हो रही हैं। लोक-लाज खोने का डर, समाज में प्रतिष्ठा धूमिल होने के खौफ से ऐसी हजारों, लाखों महिलाओं का दर्द न्याय की आस में दम तोड़ रहा है। कई मामलों में आरोपियों को सजा मिलती है तो कई में केस(Crime Against Women in MP) कमजोर हो जाता है। हां, हो सकता है शारीरिक हिंसा-मारपीट के किसी मामले में फरियादी ही आरोपी निकले, पर ऐसे केस नगण्य होंगे।
ये भी पढें – रेप पीड़िता बोली- न्याय में देरी से बढ़ रहा दर्द, वकील के सवाल ने अंदर तक तोड़ दिया राज्य में पत्रिका(Patrika Raksha Kavach Abhiyan) ने पड़ताल की तो ज्यादातर केस में पितृसत्तात्मक सोच हावी दिखाई दी। यही वजह है कि अपराध नियंत्रण के लिए पत्रिका के ‘रक्षा कवच’ अभियान की तीसरी कड़ी में हम बात कर रहे हैं महिलाओं के साथ शारीरिक हिंसा और मारपीट की। महिलाओं(Crime Against Women in MP) से मारपीट अशिक्षित, निम्नवर्गीय परिवारों में ही नहीं, सभ्य और संभ्रांत समझे जाने वाले घरों की महिलाएं भी इसका सामना कर रही हैं। इसे 2020 में फिल्म थप्पड़ से भी समझा जा सकता है। पर रील से परे कुछ रीयल घटनाओं का जिक्र कर रहे हैं। इनसे अंदाजा लगाया जा सकता है इंसान कितना क्रूर हो सकता है। ‘रक्षा कवच’ अभियान का मकसद इस क्रूरता को किनारे कर लोगों को जागरूक करना, अपराध दर में कमी लाना है।
● परिवार बिखरने का डर ● समाज, रिश्तेदारों में बदनामी का खौफ ● कभी सोचा है लोग क्या कहेंगे ● लड़की हो, लड़की ही रहो● हमारे समाज में ऐसा ही होता है ● मार दिया तो क्या हो गया ● अशिक्षित होने से कानून की जानकारी नहीं
शारीरिक हिंसा और मारपीट
साल 2022 में 7,772 साल 2023 में 6,936 साल 2024 में 7,172 एक साल प्रदेश में बढें मामले – 3.4%
10 साल तक की हो सकती है सजा
इंदौर हाईकोर्ट की अधिवक्ता शन्नो शगुफ्ता खान के मिताबिक, ‘शारीरिक प्रताड़ना(Crime Against Women in MP) के मामले में पहले आइपीसी की धारा 498 ए के तहत केस दर्ज होता था। अब बीएनएस की धारा 85 के तहत। शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के मामले में अधिकतम तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। गंभीर चोट की स्थिति में 10 वर्ष तक की सजा हो सकती है। महिलाओं के साथ जघन्य अपराध के मामले में सुनवाई जल्द हो रही है। उसी तरह अब घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना और छेड़छाड़ के पेंडिंग मामलों में भी तेजी लाई जाए, तभी महिलाओं के साथ अपराध करने वालों पर अंकुश लग सकेगा।’
केस 1 : आरोपी जेल से छूटे, न्याय की लड़ाई भी नहीं लड़ सकी पीड़िता
बात 21 जून 2004 की है। मामला(Patrika Raksha Kavach Abhiyan) आदिवासी बहुल धार जिले के टांडा क्षेत्र का है। आंगनबाड़ी के परिसर में एक आदिवासी महिला से तब सरपंच और 7 पुरुषों ने लाठियों, घूसों से पिटाई की। प्रदेश में घटना चर्चित रही। पुलिस ने महिला से सामूहिक पिटाई का केस दर्ज कर करीब आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया। आरोपियों को जनवरी 2025 में जमानत मिल गई।
केस इसलिए हुआ कमजोर : महिला का परिवार गांव में ही रहता है, पर घटना के कुछ माह बाद महिला मजदूरी करने गुजरात चली गई। यहां पुलिस जांच में बयान आदि पहलुओं पर ज्यादा कुछ नहीं हो पाया। महिला अन्य युवक के साथ रहना चाहती इसलिए सार्वजनिक तौर पर पीटा।
पुलिस : टांडा टीआइ कमलेश सिंगार ने अगले ही महीने केस डायरी कोर्ट में पेश कर दी। आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। पुलिस जांच में वीडियो सहित अन्य तथ्य शामिल किए गए हैं। कुछ आरोपी महिला के रिश्तेदार भी हैं। महिला पर किसी तरह का दबाव नहीं था।
केस 2 : जब आरोपियों ने महिला को अर्धनग्न कर गांव में कराई थी परेड
8 अक्टूबर 2022 को थाना क्षेत्र मैहर की घटना(Patrika Raksha Kavach Abhiyan)। जेल से छूटे एक आरोपी ने बदला लेने के लिए सरहंगों के साथ एक महिला के घर घुसकर लाठी-डंडों से बेदम मारपीट की। घसीटकर बाहर लाया। सरहंगों ने अर्धनग्न कर गांव में घुमाया था। पुलिस ने ऋषिकेश पटेल, शिवकुमार पटेल और महेंद्र पटेल सहित 9 लोगों के खिलाफ शुरुआत में केस दर्ज किया था। जांच के दौरान 17 आरोपी चिह्नित किए गए। मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
यह थी वजह : महिला ने कुछ दिन पहले ऋषिकेश पटेल को चोरी के आरोप में पुलिस से पकड़वा दिया था। दो दिन बाद पटेल जेल से आया तो अन्य के साथ घटना को अंजाम दिया।
पुलिस का रवैया गैरजिम्मेदाराना : घटना को शुरुआत में पुलिस हल्के में लेती रही। तीन के खिलाफ मारपीट की धाराओं में केस दर्ज किया। मामले ने तूल पकड़ा तो समाज लामबंद हुआ। पुलिस पर दबाव बढ़ा और आरोपियों के खिलाफ घर में घुसकर मारपीट, यौन उत्पीड़न, लज्जा भंग, महिला को निर्वस्त्र करना जैसी धाराएं बढ़ाईं।
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