पुलिस की सलाह व समझाइश और पति-पत्नी के साथ बैठाकर गलत फहमियां दूर करने का सुखद परिणाम सामने आया है। एक हजार से ज्यादा तो ऐसे मामले पुलिस ने सुलझा दिए, जिनमें पति-पत्नी सालों से अलग रह रहे थे। परिवार और बिरादरी ने उनके फिर से एक साथ रहने की उमीद तक छोड़ दी थी। महिला थाना में पिछले साल 1540 पति-पत्नी फिर से एक हुए। थानाधिकारी महेश कुमार शीला इसे महिला थाना स्टाफ का जिमेदारी से प्रयास करने को मानते हैं। उन्होंने बताया कि थाने आने वाले परिवादों में पति-पत्नी के घरेलू झगड़े , कलह और तनाव के मामले ही ज्यादा होते हैं। थाने पहुंचने तक यह परिवार टूटने की कगार पर होते हैं। ऐसे में सबसे पहले पुलिस अपने स्तर पर दोनों के बीच विवाद की वजह की खोजती है। फिर उसके अनुसार सुलह कराने के प्रयास करती है। दोनों पक्षों से गंभीरता और समझदारी से बात की जाती है। इससे मामला सुलझने के ट्रैक पर आने लगता है।
यूं दूर किए गिले-शिकवे महिला थाने में दोनों पक्षों से अलग अलग बात कर त्रिस्तरीय काउंसिलिंग कराई गई। इसमें सारे गिले शिकवे दूर करने का प्रयास किया गया। कई मामलों में पहली काउंसिलिंग में बात नहीं बनी तो दूसरी-तीसरी काउंसलिंग की गई। कई बार एक पक्ष मान जाता हैं और दूसरा पक्ष नहीं मानता। उन्हें कुछ कानून का डर भी दिखाया जाता है। थाने और कचहरी में समय व धन की बर्बादी नहीं करने की समझाइश की जाती है।
तीन साल में आए 2297 परिवाद महिला थाने के मुताबिक, बीते तीन साल में पति-पत्नी विवाद संबंधी 2297 परिवाद दर्ज हुए। इसमें से पुलिस ने 1540 मामलों में घर टूटने से बचाया। वर्ष 2022 में 729 मामलों में से 457 में समझौता कराया। 185 में पुलिस ने चालान पेश कर दिया। वर्ष 2023 में 813 मामलों में से 543 में समझौता कराया। 204 में पुलिस ने चालान पेश किया। वर्ष 2024 में 755 शिकायतों में से 540 में समझौता और 197 में चालान किया गया।