बागों बोली कोयली, आभै चमकी बीज… शिव जबरेश्वर नाट्य एवं कला संस्थान की ओर से बारह गुवाड़ चौक स्थित उस्ताद तनसुख दास रंगा के अखाड़े में हेडाऊ मेहरी रम्मत का मंचन होलाष्टक के दौरान किया जाता है। रम्मत के वरिष्ठ कलाकारों के सानिध्य में बारह गुवाड़ चौक में रम्मत का अभ्यास चल रहा है। रम्मत कलाकार बी आर सूरदासाणी के अनुसार रम्मत का मंचन 12 मार्च की मध्यरात्रि बाद भगवान गणेश स्वरूप के अखाड़े में पहुंचने और स्तुती वंदना के साथ होगा। खाकी, बोहरा-बोहरी, जाट-जाटणी स्वांग पात्र अच्छे जमाने के शगुन मनाएंगे। इसके बाद कथानक अनुसार पात्र अखाड़े में पहुंचेंगे व गीत, नृत्य व संवादों तथा दोहों के माध्यम से रम्मत का मंचन होगा।रम्मत अभ्यास में भंवर लाल पुरोहित, शिव शंकर पुरोहित, भैंरु रतन पुरोहित, कैलाश पुरोहित, राजकुमार रंगा, किशन लाल, हरि रतन, गौरी शंकर, राम कुमार, दाऊ लाल, बिटु पुरोहित, ललित, मनोज, बटुक, मुरली मनोहर, विजय शंकर, विजय कुमार, रमेश व्यास, विजय व्यास, विकास व्यास, दाऊ व्यास, गिरिराज, मेघराज, किशन पुरोहित, नवरतन, विष्णु, नन्द किशोर, मदन गोपाल, वीरेन्द्र किराडू, कन्हैया लाल, जगमोहन पुरोहित, लाली, राजेश, गोविन्द, अजय, गौरव आदि कलाकार अभ्यास में जुटे हुए हैं।
घूंघट का पट खोलो प्यारी… श्री मरुनायक कला केन्द्र की ओर से मरुनायक चौक में होलाष्टक के दौरान हेडाऊ मेहरी रम्मत का मंचन किया जाता है। रम्मत उस्ताद अजय कुमार देरासरी के सानिध्य में रम्मत कलाकार अभ्यास में जुटे हुए हैं। यह रम्मत रियासत काल से अपनी विशिष्ट गायन शैली और विशेष नगाड़ा वादन कला के लिए प्रसिद्ध है। मां भवानी स्वरूप के अखाड़े में पहुंचने व स्तुती वंदना के साथ रम्मत का आगाज होता है। जोशी व चेला पात्र अच्छे जमाने के शगुन मनाते है। फिर रम्मत कथानक अनुसार हेडाऊ, नुरसा और मेहरी पात्र पहुंचते है। मध्यरात्रि बाद से अगले दिन सुबह तक रम्मत का मंचन होता है। रम्मत अभ्यास में गेवर चंद भादाणी, मेघसा जोशी, दारसा जोशी, शिवशंकर गज्जाणी, राजा जोशी, बल्लू जोशी, रघु, कैलाश, शिव, मुन्ना गज्जाणी, मोतीलाल, ललन, हेमन्त, अनिल, लक्ष्मीकांत, मोहित, सौरभ, पवन, आशुतोष आदि कलाकार अभ्यास में जुटे हुए हैं। नगाडा़ा पर राम सेवग, कैलाश जोशी, सोनू, चिराग आदि संगत दे रहे हैं।