scriptBilaspur High Court: राज्य सरकार की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका खारिज, इस मामले में हाईकोर्ट ने लिया बड़ा फैसला | Bilaspur High Court: Petition challenging the notification of the state government dismissed | Patrika News
बिलासपुर

Bilaspur High Court: राज्य सरकार की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका खारिज, इस मामले में हाईकोर्ट ने लिया बड़ा फैसला

Bilaspur High Court: याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने दावा किया कि संगठन के खिलाफ एक भी ऐसी घटना नहीं है, जिसमें यह घोषित किया गया हो कि यह गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल है।

बिलासपुरMay 06, 2025 / 09:41 am

Laxmi Vishwakarma

CG News: प्रदेश में पैरोल पर छोड़े गए 70 बंदी नहीं लौटे, जेल प्रबंधन ने दर्ज कराई FIR
Bilaspur High Court: हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ विशेष जन सुरक्षा अधिनियम (सीवीजेएसए) के तहत जारी राज्य सरकार की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका सोमवार को खारिज कर दी। आदिवासी संगठन-मूलवासी बचाओ मंच (एमबीएम) ने गैरकानूनी संगठन घोषित करने पर याचिका दायर की थी। कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य सरकार के पास अपनी खुफिया रिपोर्ट है तो वह ऐसी कार्रवाई कर सकती है।

Bilaspur High Court: किसी संगठन को गैरकानूनी घोषित…

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की खंडपीठ ने कहा कि संगठन पंजीकृत नहीं था और वैसे भी, मामला सीवीजेएसए की धारा 5 के तहत गठित सलाहकार बोर्ड के समक्ष समीक्षा के लिए लंबित था। कोर्ट ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि किसी संगठन को गैरकानूनी घोषित करने के लिए, पहले आपको हमें यह बताना होगा कि क्या इस संगठन की कोई कानूनी वैधता है।
पहले यह स्थापित करना होगा। अन्यथा समाज में इतने सारे लोग हैं कि वे एक संघ चला सकते हैं और गतिविधियां कर सकते हैं। याचिका में कहा गया था कि अधिसूचना जारी होने के बाद, एमबीएम के कई सदस्यों को केवल संगठन से जुड़े होने के कारण गिरफ्तार किया गया है। इसमें याचिकाकर्ता रघु मिडियामी भी शामिल हैं, जो एमबीएम के संस्थापक और पूर्व अध्यक्ष हैं।
यह भी पढ़ें

Bilaspur High Court: विधायकों के वेतन और पेंशन नियम की वैधता पर HC में बहस, मामले में राज्य सरकार से मांगा जवाब

दावा: संगठन विकास कार्यों का विरोध और जनता को भड़का रहा

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने दावा किया कि संगठन के खिलाफ एक भी ऐसी घटना नहीं है, जिसमें यह घोषित किया गया हो कि यह गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल है। राज्य की ओर से उपस्थित हुए महाधिवक्ता ने कहा कि कार्रवाई के कारण बताए गए हैं।
उन्होंने अक्टूबर 2024 की अधिसूचना का उल्लेख करते हुए कहा कि संगठन माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में सरकार द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों का लगातार विरोध कर रहा है और आम जनता को भड़का रहा है।अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि संगठन कानून के प्रशासन में हस्तक्षेप कर रहा है और कानून द्वारा स्थापित संस्थाओं की अवज्ञा को बढ़ावा दे रहा है। इस तरह सार्वजनिक व्यवस्था, शांति को भंग कर रहा है और नागरिकों की सुरक्षा को खतरे में डाल रहा है।

राष्ट्रीय हित की रक्षा में कार्रवाई उचित

Bilaspur High Court: शासन की ओर से महाधिवक्ता ने कोर्ट को आगे बताया कि संगठन ने नवंबर 2024 में सलाहकार समिति को एक प्रतिनिधित्व दिया था। बोर्ड ने फरवरी में राज्य से कुछ टिप्पणियां मांगी थीं और बोर्ड की आखिरी नोटशीट फाइल की थी। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उन्हें कारणों के बारे में नहीं बताया गया है। इसके बाद कोर्ट ने कुछ दस्तावेजों को देखा और मौखिक रूप से कहा कि ये रिपोर्ट गोपनीय दस्तावेज हैं और इन्हें आपको नहीं दिया जा सकता।

Hindi News / Bilaspur / Bilaspur High Court: राज्य सरकार की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका खारिज, इस मामले में हाईकोर्ट ने लिया बड़ा फैसला

ट्रेंडिंग वीडियो