scriptराजस्थान में घोड़ी की मौत से आहत हुए थे ‘लाल लंगोट वाले बाबा’, जिद ने चीर दिया पहाड़ का सीना, अब बनेगी पक्की सड़क | Mahant Bajrang Das of Bundi had made a path by cutting the mountain | Patrika News
बूंदी

राजस्थान में घोड़ी की मौत से आहत हुए थे ‘लाल लंगोट वाले बाबा’, जिद ने चीर दिया पहाड़ का सीना, अब बनेगी पक्की सड़क

लोग जब इस रास्ते से गुजरते हैं, तो न केवल सुविधा महसूस करते हैं बल्कि बाबा के अदम्य हौसले को नमन करना नहीं भूलते।

बूंदीJul 10, 2025 / 05:31 pm

Rakesh Mishra

bundi news

गेण्डोली पहाड़ी पर बनाया गया रास्ता। फोटो- पत्रिका

बिहार के दशरथ मांझी की कहानी आपने सुनी होगी, लेकिन कोटा संभाग के गेण्डोली में भी एक ऐसे ही जीवट संत हुए हैं, जिन्होंने पत्थरों का सीना चीरकर आमजन के लिए राह बना दी। लोग उन्हें श्रद्धा से ‘लाल लंगोट वाले बाबा’ के नाम से जानते हैं। उनका असली नाम महंत बजरंग दास था।
साल 1982 की एक घटना ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी। मांडपुर घाटी में एक ग्रामीण घोड़ी से सफर कर रहा था, तभी दुर्गम और पथरीले रास्ते में उसकी घोड़ी फिसल गई और उसकी मौत हो गई। उसी दौरान वहां से गुजर रहे महंत बजरंग दास ने यह दर्दनाक दृश्य देखा तो उनका मन द्रवित हो उठा। उसी क्षण उन्होंने प्रण लिया कि इस घाटी में रास्ता बनाकर ही चैन लूंगा।

काटे थे घाटी के पत्थर

उन्होंने गांव-गांव जाकर लोगों को अपने दृढ़ निश्चय के साथ जोड़ा। कुदाल, फावड़ा और जनसहयोग के बूते उन्होंने घाटी की पत्थरों को काटना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे ग्रामीण जुटते गए और घाटी में रास्ता बनता चला गया। जब कार्य आगे बढ़ा तो जनप्रतिनिधियों का सहयोग भी मिल गया।
सैकड़ों लोगों के गुरु आज इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनका यह समर्पण आज भी दर्जनों गांवों को जोड़ रहा है। लोग जब इस रास्ते से गुजरते हैं, तो न केवल सुविधा महसूस करते हैं बल्कि बाबा के अदम्य हौसले को नमन करना नहीं भूलते।

बिरला ने राशि स्वीकृत की

महंत के इस जनोपयोगी प्रयास के बाद अब यह कार्य एक नई दिशा में बढ़ चुका है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों से गेण्डोली, झालीजी का बराना, काली तलाई, बोरदा माल, कापरेन सड़क मार्ग को चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण योजना में शामिल किया गया है। 11.70 किलोमीटर लंबी इस सड़क के लिए 48.78 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। यह मार्ग गेण्डोली से पीपल्या गांव तक बजरंग घाटीए मांडपुरए सुसाडिया होते हुए जाएगा।
यह वीडियो भी देखें

गुरु पूर्णिमा पर मेला

हर वर्ष गुरु पूर्णिमा के अवसर पर देशभर से बाबा के श्रद्धालु राधाकृष्ण आश्रम, मांडपुर में एकत्र होते हैं। यहां बाबा की स्मृति में दिनभर कार्यक्रम होते हैं।

महंत का जीवन परिचय

महंत बजरंग दास का जन्म तलवास गांव में हुआ था। वह बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे और किशोर अवस्था में ही संत बन गए थे इन्होंने परिवार का त्याग कर तलवास के निकट कडुल्या में सिद्धी प्राप्त की। बाद में इन्होंने तलवास, मांडपुर, गेण्डोली एवं बूंदी में आश्रम बनाए। भरत शर्मा ने बताया कि महंत का देवलोक गमन 13 अक्टूबर 2017 को हुआ।

Hindi News / Bundi / राजस्थान में घोड़ी की मौत से आहत हुए थे ‘लाल लंगोट वाले बाबा’, जिद ने चीर दिया पहाड़ का सीना, अब बनेगी पक्की सड़क

ट्रेंडिंग वीडियो