हम हिन्दी भाषा थोपने का विरोध कर रहे हैं
डीएमके सांसद कनिमोझी ने कहा, भाजपा के सभी लोगों को एक भाषा को पसंदीदा भाषा के रूप में लेने और जब कोई अन्य रास्ता न हो तब उसका अध्ययन करने तथा जब उसका अध्ययन करने की आवश्यकता हो, के बीच अंतर को समझना चाहिए। भाजपा के सत्ता में आने से पहले वे जर्मन भाषा पढ़ाते थे, लेकिन अब वे संस्कृत पढऩे के लिए मजबूर कर रहे हैं। संस्कृत पढऩे से क्या फायदा है? भाषा व प्रभुत्व थोपना ये सब केंद्र सरकार कर रही है। इसलिए हम हिन्दी भाषा थोपने का विरोध कर रहे हैं।हिंदी पढऩे का कोई फायदा नहीं है
डीएमके नेता सरवणन अन्नादुरै ने भी नई शिक्षा नीति (एनईपी) पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बयान का समर्थन करने के लिए तमिलनाडु भाजपा प्रमुख के. अन्नामलै पर निशाना साधा और हिंदी पढऩे की जरूरत से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, हमें हिंदी नहीं चाहिए। हमें हिंदी क्यों पढऩी चाहिए? हिंदी पढऩे से क्या फायदा है? क्या इससे हम डॉक्टर बन जाएंगे? इसलिए कि हम समझ सकें कि प्रधानमंत्री क्या कहते हैं? हमें हिंदी पढऩी चाहिए क्योंकि हम उत्तर भारतीय प्रवासियों के साथ बातचीत कर सकते हैं जो तमिलनाडु राज्य में आ रहे हैं। यहां के लोग अच्छी तरह से शिक्षित हैं और अमेरिका, लंदन, यूरोपीय देशों, ऑस्ट्रेलिया, चीन और अन्य देशों में जा रहे हैं। हिंदी पढऩे का कोई फायदा नहीं है।