सोमवार को यहां कहा गया कि दो सफल आयोजनों के बाद यह आयोजन का तीसरा संस्करण है। गंगा में पवित्र डुबकी लगाने के बाद किसानों ने घाट पर स्थित प्राचीन मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना की। उनको इन मंदिरों के समृद्ध इतिहास, आध्यात्मिक महत्व और स्थापत्य कला की भव्यता के बारे में जानकारी दी गई। इसके बाद तमिल मेहमान हनुमान घाट स्थित सुब्रह्मण्य भारती के घर गए, जहां उन्होंने उनके परिवार के सदस्यों से मुलाकात की। वहां से समूह कांची मठ गया और उसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के बारे में जाना।
समूह के लोग काशी के हृदय में एक दक्षिण भारतीय मंदिर को देखने के लिए विशेष रूप से उत्साहित थे। पंडित वेंकट रमन धनपति ने काशी और तमिलनाडु के बीच गहरे संबंधों पर जोर देते हुए कहा यह संबंध सिर्फ एक पखवाड़े का मामला नहीं बल्कि सदियों से मौजूद है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि काशी में एक ‘मिनी तमिलनाडु’ पनपता है, खासकर हनुमान घाट, केदार घाट और हरिश्चंद्र घाट के आसपास, जहां विभिन्न दक्षिण भारतीय राज्यों के हजारों परिवार रहते हैं। उन्होंने कहा यह स्थायी उपस्थिति दोनों क्षेत्रों के बीच मजबूत और सामंजस्यपूर्ण संबंधों को दर्शाती है।