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छतरपुर

स्वामित्व योजना: प्रशासनिक अमले ने सर्वे में की लापरवाही और गड़बड़ी, नाम जुड़वाने परेशान हो रहे लोग

2 लाख 54777 हितग्राहियों को इसके लाभ का लाभ मिलने का अनुमान था। हालांकि, जिले के कई गांवों में अधिकारियों द्वारा किए जा रहे सर्वे में गड़बड़ी के कारण बड़ी संख्या में पात्र लोग इस योजना से वंचित रह गए हैं।

छतरपुरFeb 22, 2025 / 10:40 am

Dharmendra Singh

bhu abhilekh

भू अभिलेख शाखा

मध्यप्रदेश में स्वामित्व योजना के तहत एक नई व्यवस्था की शुरुआत की गई थी, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों को उनके घरों और संपत्तियों के कानूनी अधिकार प्रदान करना था। यह योजना 1109 गांवों में लागू की जा रही है, जिसमें लगभग 2 लाख 54777 हितग्राहियों को इसके लाभ का लाभ मिलने का अनुमान था। हालांकि, जिले के कई गांवों में अधिकारियों द्वारा किए जा रहे सर्वे में गड़बड़ी के कारण बड़ी संख्या में पात्र लोग इस योजना से वंचित रह गए हैं। खासकर, जिन लोगों के नाम स्वामित्व योजना में शामिल नहीं किए गए, उनके लिए यह एक बड़ा झटका साबित हुआ है।

राज्य स्तरीय कार्यक्रम में वितरित नहीं हो सके सभी को अभिलेख


इस योजना के तहत 18 जनवरी को राज्य स्तर पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें जिले के 63858 हितग्राहियों को अधिकार अभिलेख वितरित किए जाने थे। लेकिन, इस कार्यक्रम में केवल 10 फीसदी लोगों को ही यह अधिकार पत्र मिल सके। शेष लोग इस योजना से वंचित रह गए, और अब उन्हें अपने नाम को स्वामित्व योजना में शामिल करवाने के लिए अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

सर्वे कार्य में गड़बड़ी और त्रुटियां


स्वामित्व योजना के तहत किया जा रहा सर्वे कार्य ग्राम स्तर पर त्रुटिपूर्ण पाया गया। अधिकारियों और कर्मचारियों के द्वारा किए गए सर्वे में कई समस्याएं आईं। इनमें से कई मकान और भूमि का गलत तरीके से रिकॉर्ड किया गया, जबकि कुछ अन्य को पूरी तरह से योजना से बाहर कर दिया गया। यह गड़बड़ी खासकर पटवारी और राजस्व निरीक्षक (आरआई) द्वारा की गई, जिन्होंने कुछ प्रमुख मकानों को ही पोर्टल में दर्ज किया और अन्य पात्र मकान मालिकों को बाहर रख दिया। इस कारण कई लोग अब अधिकारियों के पास अपना नाम जुड़वाने के लिए दौड़-धूप कर रहे हैं।

टिकरी पंचायत का मामला


गौरिहार जनपद क्षेत्र के टिकरी पंचायत में सर्वे का कार्य वर्ष 2021-22 में किया गया था। पंचायत में लगभग 450 परिवार निवास करते थे, जिनमें से अधिकांश परिवार वर्ष 2018 से पहले से यहां रह रहे थे। हालांकि, सर्वे के दौरान तत्कालीन पटवारी विष्णू कांत त्रिपाठी ने ड्रोन से सर्वे कराने के बाद अपने हिसाब से नामों की फीडिंग की। इसके परिणामस्वरूप, केवल 90 परिवारों के ही भू-अभिलेख पोर्टल में दर्ज किए जा सके। ऐसे परिवार जो अब तक इस योजना से वंचित थे, वे अब इस योजना का हिस्सा बनने के लिए अधिकारियों के पास पहुंच रहे हैं।

दौनी पंचायत का मामला


नौगांव जनपद क्षेत्र के दौनी पंचायत में 800 परिवार निवास करते हैं, और यहां करीब 3000 वोटर हैं। इस पंचायत में हुए सर्वे के आधार पर 1077 प्लॉटों को पोर्टल में दर्ज किया गया। लेकिन 18 जनवरी को आयोजित कार्यक्रम के दौरान केवल छह परिवारों को ही अधिकार अभिलेख दिए गए। यह कार्यक्रम प्रशासन द्वारा केवल खानापूर्ति के तौर पर आयोजित किया गया था। ग्रामीणों ने इसकी कड़ी आलोचना की और अधिकारियों से इस गड़बड़ी को सुधारने की मांग की।

मझौरा पंचायत में त्रुटियां


बकस्वाहा तहसील क्षेत्र के मझौरा पंचायत में भी अधिकारियों द्वारा की गई गड़बड़ी के कारण कई परिवारों के नाम स्वामित्व योजना में नहीं जोड़े गए। 18 जनवरी को आयोजित कार्यक्रम के दौरान केवल 2 से 3 लोगों को ही अधिकार अभिलेख मिल पाए, जबकि यहां 68 लोग पात्र थे। ग्रामीणों का आरोप है कि पटवारी और आरआई के द्वारा सर्वे के दौरान मकानों का क्षेत्रफल घटा दिया गया और कुछ मकानों का स्थान भी बदल दिया गया, जिससे उनका नाम योजना में नहीं आ सका।

ग्रामीणों की चिंताएं


स्वामित्व योजना की सफलता के लिए आवश्यक है कि यह सर्वे पूरी तरह से पारदर्शी और निष्पक्ष हो, ताकि कोई भी पात्र व्यक्ति इसके लाभ से वंचित न रहे। ग्रामीणों ने अधिकारियों से उम्मीद जताई है कि उन्हें जल्द ही योजना के तहत अपना अधिकार पत्र मिल सकेगा और जो लोग योजना से बाहर रह गए हैं, उन्हें भी इसका लाभ दिया जाएगा। हालांकि, योजना के तहत किए गए सर्वे में आई त्रुटियों ने ग्रामीणों को परेशान कर दिया है।

क्या कहते हैं अधिकारी?


स्वामित्व योजना के कार्यक्रम में 63858 हितग्राहियों को अधिकार अभिलेख वितरित किए जाने थे, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि कार्यक्रम के दौरान जो लोग उपस्थित थे, उन्हें अधिकार पत्र दिए गए। वहीं, जो लोग कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके, उनके अधिकार पत्र उनके घरों तक पहुंचाए जाएंगे। अधिकारियों ने यह भी दावा किया कि योजना के तहत किए जा रहे सर्वे में केवल आबादी वाले क्षेत्र में स्थित मकानों को शामिल किया जा रहा है, जबकि चरनोई या शासकीय भूमि पर बने मकानों को इसमें शामिल नहीं किया गया है।

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