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छतरपुर को नगर निगम बनाने की प्रक्रिया दो साल से अधर में, प्रशासनिक लापरवाही ने रोका विकास का पहिया

जून 2023 में हुई घोषणा के दो साल बाद नगर निगम बनने की प्रक्रिया एक इंच भी आगे नहीं बढ़ सकी है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग से मंजूरी, राज्यपाल की अनुमति और नोटिफिकेशन जैसे अहम कदमों से पहले जरूरी होता है।

छतरपुरJul 05, 2025 / 10:35 am

Dharmendra Singh

chhatarpur city

छतरपुर शहर

क्या छतरपुर का नगर निगम सपना सिर्फ भाषणों और घोषणाओं तक सीमित रह जाएगा? दो साल पहले हुए गौरव दिवस समारोह में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने छतरपुर को नगर निगम बनाने की सार्वजनिक घोषणा की थी, यह ऐतिहासिक क्षण आज भी लोगों की स्मृति में दर्ज है। लेकिन उस दिन जो उम्मीदें जगी थीं, वे अब फाइलों की धूल में दबी पड़ी हैं। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद जिस प्रशासनिक गति की अपेक्षा थी, वह आज भी कछुआ चाल से आगे नहीं बढ़ सकी।

दो साल, अधूरे दस्तावेज और ठप प्रक्रिया

जून 2023 में हुई घोषणा के दो साल बाद नगर निगम बनने की प्रक्रिया एक इंच भी आगे नहीं बढ़ सकी है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग से मंजूरी, राज्यपाल की अनुमति और नोटिफिकेशन जैसे अहम कदमों से पहले जरूरी होता है। संपूर्ण दस्तावेजी प्रक्रिया का पूरा होना, लेकिन छतरपुर प्रशासन इस बुनियादी जिम्मेदारी को अब तक नहीं निभा सका है। कुछ माह पूर्व भेजे गए निगम गठन के प्रस्ताव में भारी खामियां थीं। नगरीय निकाय विभाग के उप सचिव ने अप्रेल 2025 में कलेक्टर को स्पष्ट निर्देश जारी किए, कि सात दिनों के भीतर सभी कमियां दूर की जाएं, लेकिन दो महीने बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।
कौन-कौन सी जानकारी नहीं भेजी गई?-

सम्मिलित किए जाने वाले ग्रामों की सूची-

हर ग्राम की जनसंख्या, क्षेत्रफल और नगर से दूरी

– गूगल मैप और रंगीन नक्शा

– पंचायतकर्मियों की संख्या, पदनाम, कार्यकाल और वेतन विवरण

विकास कार्यो को मिलती गति

ये सभी मूलभूत जानकारियां अब तक न तो जनपद से आई हैं और न ही राजस्व विभाग से, जबकि कलेक्टर द्वारा एसडीएम छतरपुर को यह कार्य अति आवश्यक घोषित करते हुए पत्र भी जारी किया गया था। छतरपुर की जनता पूछ रही है क्या एक जिला मुख्यालय होने के बाद भी छतरपुर जैसे शहर के साथ सौतेला व्यवहार क्यों? यह वही शहर है, जहां अब भी कई वार्डों में सीवर लाइन नहीं है, जल आपूर्ति अधूरी है और अव्यवस्थित यातायात से लोग त्रस्त हैं। नगर निगम बनने से यहां कई बड़े विकास कार्यों को केंद्रीय फंड से गति मिल सकती थी, लेकिन जिम्मेदार अफसरों की सुस्ती ने इस योजना को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया है।

आखिर कब मिलेगा छतरपुर को उसका हक?

छतरपुर नगर निगम बनने से शहर को बजट में व्यापक वृद्धि, अधोसंरचना सुधार, बेहतर पेयजल व्यवस्था, कचरा प्रबंधन और स्मार्ट ट्रैफिक जैसी योजनाओं का लाभ मिल सकता है। लेकिन अफसोस यह है कि दो साल बीतने के बाद भी जनता को सिर्फ वादे ही मिल रहे हैं। अब सवाल सिर्फ यह नहीं कि छतरपुर नगर निगम बनेगा या नहीं, बल्कि सवाल यह है कि आखिर छतरपुर कब तक इस प्रशासनिक सुस्ती की कीमत चुकाता रहेगा?

इनका कहना है

नगर निगम के प्रस्ताव में आबादी कम होने पर नए गांव जोड़कर प्रस्ताव भेजा जाना है। दस दिन पहले ही मैने प्रस्ताव को भेजे जाने के निर्देश दिए थे। मैं तत्काल दोबारा फॉलोअप ले रही हूं। नगर निगम बनना जनहित में है। इस कार्य को प्राथमिकता पर लिया जाएगा। मैं अधिकारियों से अभी बात कर रही हूं।
ललिता यादव, विधायक

इनका कहना है

एसडीएम का कहना है कि जो जानकारियां अपेक्षित हैं, उन्हें शीघ्र तैयार कर भेजा जाएगा। उन्होंने दावा किया कि पंचायतकर्मियों की जानकारी जनपद से और नक्शा राजस्व अमले से मंगाई जा रही है।
अखिल राठौर, एसडीएम

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