जल निगम की एमबीएस इकाई के अंतर्गत जिले के लिए 9 योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिनके माध्यम से जल आपूर्ति की व्यवस्था की गई है। फिलहाल, छतरपुर पीयूआई की 6, सागर पीयूआई की 2 और दमोह पीयूआई की 1 योजना के अंतर्गत यह कार्य किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि बड़ामलहरा के 119 और बकस्वाहा के 99 गांवों में सौ फीसदी जलापूर्ति पूरी हो चुकी है, जबकि शेष क्षेत्रों में जल आपूर्ति की प्रक्रिया जारी है। जल निगम ने भरोसा जताया है कि दिसंबर 2025 तक सभी शेष गांवों में जल आपूर्ति शुरू कर दी जाएगी, जिसके बाद जिले का पूरा लक्ष्य पूरा हो जाएगा।
प्रदेश स्तर पर भी खराब स्थिति
मध्यप्रदेश में जल जीवन मिशन की स्थिति भी निराशाजनक बनी हुई है। देशभर में मध्यप्रदेश का स्थान नीचे से पांचवां है। जबकि उत्तराखंड जैसे राज्य जहां भौगोलिक चुनौतियां अधिक हैं, वहां 100 प्रतिशत गांवों तक पानी पहुंच चुका है। एमपी में फिलहाल केवल 60 प्रतिशत गांव ही योजना का लाभ ले पा रहे हैं, जबकि 40 प्रतिशत गांवों में नल जल योजना ठप पड़ी हुई है। यह आंकड़ा केंद्र की अपेक्षाओं से काफी पीछे है।
ग्रामीणों में असंतोष
जिन गांवों में अब तक जल आपूर्ति नहीं हो पाई है, वहां के ग्रामीणों को टैंकरों या कुओं पर निर्भर रहना पड़ रहा है। कई बार पाइपलाइन बिछाने का काम अधूरा छोड़ दिया गया, जिससे लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। पानी की समस्या के चलते स्कूलों, आंगनबाडयि़ों और स्वास्थ्य केंद्रों में भी व्यवस्था चरमराई हुई है। जल जीवन मिशन का उद्देश्य हर घर को नल के माध्यम से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना है, छतरपुर जैसे जिलों में धरातल पर अपनी गति से पिछड़ता नजर आ रहा है। अब सबकी निगाहें दिसंबर पर टिकी हैं।
इनका कहना है
हम नौ योजनाओं के जरिए 1000 से अधिक गांवों में जल आपूर्ति का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। शेष गांवों में जल योजनाएं दिसंबर से सक्रिय हो जाएंगी। छतरपुर में योजना की स्वीकृति सितंबर 2023 में मिली, इसलिए हम अन्य जिलों की तुलना में पीछे हैं, जहां योजनाएं पहले शुरू हो गई थीं। हमारा लक्ष्य है कि जल्द ही हम अग्रणी जिलों में शामिल हों। एलएल तिवारी, महाप्रबंधक, जल निगम