बताया स्वस्तिक का आध्यात्मिक अर्थ
उन्होंने स्वस्तिक का आध्यात्मिक अर्थ बताते हुए चारों युगों का गहरा रहस्य बताया। कहा कि इसके लिए सात दिन का कोर्स जरूर करना चाहिए, ताकि आत्मा का परिचय स्पष्ट होता है। यह ज्ञान किसी व्यक्ति का नहीं स्वयं ईश्वर का है, जो आत्मा की उन्नति के लिए सर्वोपरि है। मनुष्य की आत्मा के गुण विलुप्त हो चुके हैं। शांति भौतिक वस्तुओं में नहीं है। हमारे अंतर्मन में निहित है। मनुष्य जैसा होता है वैसा कर्मफल पाता है। आज संसार के जो रिश्ते और दुख है, वह हमारे कार्मिक अकाउंट हं, जिन्हें हम मेडिटेशन से सेटल कर सकते हैं। मेडिटेशन और अध्यात्म को जीवन में आत्मसात करने की जरूरत है। आज घरों की नकारात्मक हवा, विचारों की दूषित हवा हर घर के इंसान के मन को बीमार बना रहे हैं।
शुक्रिया शब्द बनाता है समय के साथ रिश्ता
सारा दिन जिनके साथ रहते हैं, उनके साथ काम करते हैं, उन सभी का शुक्रिया करना चाहिए। जहां से हमें धन की प्राप्ति होती है, उस स्थान का शुक्रिया करना चाहिए। परमात्मा का शुक्रिया, मन और शरीर का शुक्रिया, स्थूल वस्तुओं का शुक्रिया, जड़ चीजों का शुक्रिया समय के साथ रिश्ता बनाते हैं। दुआ दीजिए समय को समय के साथ हमारा घनिष्ठ संबंध है।