मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए एमपीआरडीसी और पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को नागदेव, निमढाना, जामई और तामिया मार्गों की मरम्मत के निर्देश दिए। खतरनाक स्थानों पर सुरक्षा दीवारों का निर्माण और रेडियम चिन्ह लगाए जाएंगे। साथ ही पंचायतों को पेड़ों पर रेडियम पट्टियां लगाने को कहा गया। जिससे रात्रि में रास्ता स्पष्ट रूप से दिखाई दे। रेडियम की पट्टियां अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी द्वारा उपलब्ध करवाई जाएंगी। 16 प्रमुख पंचायतों द्वारा अस्थायी टेंट, पेयजल और शौचालय की व्यवस्था की जाएगी। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग और ग्राम पंचायतों को पूरे मेले क्षेत्र में स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए गए। “वॉश ऑन व्हील” योजना का लाभ लेते हुए स्वच्छता साथियों के माध्यम से शौचालयों की सफाई नियमित रूप से की जाएगी।
संस्कृति और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा- मेले में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए इस बार नवाचार करते हुए विशेष टेंट सिटी विकसित की जाएगी, जहां वे ठहर सकेंगे और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकेंगे। इसके अलावा, लोक नृत्य, पारंपरिक जड़ी-बूटी स्टॉल और वनधन स्टॉल भी लगाए जाएंगे। स्व-सहायता समूहों की महिलाओं की ओर से पारंपरिक व्यंजनों की व्यवस्था की जाएगी जिससे स्थानीय खानपान को बढ़ावा मिलेगा।
प्रमुख मार्गों पर दमुआ, जामई, गारादेही, नागदेव और भूराभगत रोड पर एंबुलेंस तैनात रहेंगी। वहीं, दो एंबुलेंस मेले के मुख्य स्थल पर और एक एंबुलेंस विशाला में मौजूद रहेगी, जिससे किसी भी चिकित्सा आपातकाल की स्थिति में त्वरित सहायता प्रदान की जा सकेगी।