स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, पहले से जांच करवा चुके लोगों की रिस्क्रीनिंग की जाएगी, जबकि बाकी बचे लोगों की नयी स्क्रीनिंग होगी। इस अभियान के तहत सीएचओ (कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर), एएनएम (सहायक नर्स मिडवाइफ) और आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों की जांच करेंगी। इसके बाद सभी आंकड़ों को ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज किया जाएगा, जिससे भविष्य में स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ देने में आसानी होगी।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि ब्लड शुगर और हाई बीपी जैसी बीमारियां मधुमेह, हृदय रोग और किडनी से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकती हैं। वहीं, नॉन-एल्कोहोलिक फैटी लीवर डिसीज लीवर सिरोसिस और लिवर फेलियर जैसी गंभीर स्थितियों को जन्म दे सकता है। ऐसे में इस अभियान के माध्यम से लोग समय रहते अपनी बीमारियों का पता लगाकर उचित इलाज ले सकेंगे।
कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने समय सीमा प्रकरणों की समीक्षा बैठक में इस अभियान की विस्तृत जानकारी दी और स्वास्थ्य अधिकारियों को इसे सफलतापूर्वक लागू करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गांवों और शहरी इलाकों में अधिक से अधिक लोगों तक इस योजना का लाभ पहुंचाया जाए।
स्वास्थ्य विभाग ने सभी 30 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों से अपील की है कि वे इस अभियान के तहत अपनी जांच अवश्य करवाएं। यह पूरी तरह से नि:शुल्क होगा और किसी भी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में उपलब्ध रहेगा। जागरूकता फैलाने के लिए स्वास्थ्य शिविर और स्थानीय स्तर पर प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा।
यह अभियान सरकार की निरोगी भारत पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य गंभीर बीमारियों की जल्द पहचान और समय पर इलाज सुनिश्चित करना है। इससे स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ेगी और नागरिकों का जीवन स्तर बेहतर होगा।