इस वित्तीय वर्ष 2024-25 में नगर निगम के कर्मचारियों का वेतन संकट छह माह तक रहा। इसकी शुरुआत अगस्त में हुई थी, यह सिलसिला जनवरी तक चलता रहा। अब भी निगम कर्मचारियों के जीपीएफ राशि को जमा नहीं किया गया है। वर्तमान में वेतन में ही राशि खर्च हो रही है। इसके अलावा ठेकेदारों के बकाया बिलों के भुगतान हो रहे हैं। अब भी फरवरी माह की चुंगी क्षतिपूॢत राशि नहीं आई है।
महापौर विक्रम अहके और पार्षदों का प्रतिनिधिमण्डल पिछले माह जनवरी में भोपाल में नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजय वर्गीय से मिला था और निगम के आर्थिक हालात से अवगत कराया था। महापौर ने मंत्री को दिए पत्र में 130 करोड़ रुपए की राशि मांगी थी। इसके साथ ही ठेकेदारों के भुगतान के लिए 5 करोड़, चुंगी क्षतिपूर्ति राशि में वृद्धि करने तथा ट्रांसपोर्ट नगर के विकास करने 19 करोड़ रुपए दिए जाने की मांग की थी। इस पर मंत्री की ओर से आश्वासन दिया गया। इस पर बजट में कुछ दिए जाने की बात कहीं थी। इस पर निगम अधिकारी अंदरुनी रूप से कह रहे हैं कि शायद ही निगम को ये राशि मिल पाएगी।
सांसद बंटी साहू के समक्ष पत्रकारों ने नगर निगम के मौजूदा आर्थिक हालात बताए थे। साथ ही बजट के अभाव में विकास कार्य न होने की बात कहीं थी। इस पर सांसद ने कहा था कि राज्य सरकार से आ रही राशि अलग है पर नगर निगम को आत्मनिर्भर होना जरूरी है। सांसद के इस बयान से साफ है कि निगम को सरकार का मुंह ताकने की बजाय अब खुद के वित्तीय संसाधन बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। तभी निगम की आर्थिक स्थिति सुधर पाएगी। अन्यथा यहीं स्थिति बनी रहेगी।