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छिंदवाड़ा

शहर के बाजारों में नहीं बढ़ाए गए प्रसाधन घर, महिला दुकानदारों को होना पड़ता है शर्मसार

हर स्वच्छता सर्वेक्षण में उठता रहा मुद्दा, बजट की कमी बन रही रुकावट

छिंदवाड़ाMay 14, 2025 / 11:12 am

prabha shankar

women toilet
शहर के बाजारों की सबसे बड़ी समस्या प्रसाधन घर का निर्माण अब तक नहीं किया गया है। सुबह से लेकर देर रात तक सडक़ किनारे बैठने वाले दुकानदार शौचालय की सुविधाएं के लिए परेशान हो रहे हैं। हर स्वच्छता सर्वेक्षण के समय यह मुद्दा उठता रहा है, लेकिन नगर निगम के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने कभी इस समस्या का हल नहीं निकाला है। हालत यह है कि इस बाजार में बाथरूम के अभाव में सबसे ज्यादा शर्मसार महिलाओं को होना पड़ता है।

नगरपालिका के समय से बाजार में कुछ स्थानों पर ही सुलभ शौचालय और सार्वजनिक शौचालय बनाए गए हैं। यह बुधवारी, जेल बगीचा, शनिचरा बाजार से 100 से 500 मीटर दूर है। अब इमलीखेड़ा, नरसिंहपुर रोड नई आबादी, खजरी रोड, नोनिया करबल समेत अन्य स्थलों पर क्षेत्रीय सब्जी बाजार विकसित हो गए हैं। इन इलाकों में सब्जी विक्रेता कहीं प्रसाधन के लिए जाना चाहें तो उन्हें सडक़ किनारे या फिर किसी गली को ढूंढना पड़ता है। सबसे ज्यादा मुसीबत महिला दुकानदारों की हो रही है। वे भी प्रसाधन के लिए दूर-दराज के सुरक्षित स्थान तलाश करती है।

चना-फूटे से लेकर मनिहारी महिला दुकानदार त्रस्त

बाजार में प्रसाधन की समस्या से फुटपाथी चना-फुटाने, सिंगाड़ा, मनिहारी महिला दुकानदार भी त्रस्त हैं। उन्हें सुरक्षित जगह नहीं मिल पाने के चलते वे शर्मसार हो रही हैं। सडक़ किनारे गंदगी भी हो रही है। स्वच्छता सर्वेक्षण में इस महत्वपूर्ण कमी को पूरा किया जाए तब भी शहर की गंदगी दूर हो सकती है। इसके अलावा शहरी ग्रामीण बाजार में भी इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

दूसरे शहरों की तरह नहीं बनवाए गए मिनी बाथरूम

सिवनी समेत कुछ जिलों के बाजारों और सार्वजनिक स्थलों की नालियों पर छोटे-छोटे डिब्बेनुमा मिनी बाथरूम लगवाए गए हैं। इससे आम आदमी के साथ बाजार के दुकानदार-ग्राहकों की प्रसाधन की समस्या का समाधान हुआ है। ये सस्ते भी होंगे। इसे नियमानुसार लगवाया जा सकता है। इस पर कभी भी नगर निगम के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए। अगले साल 2026 तक 40 का रखा था लक्ष्य: नगर निगम के दो साल पहले बने पंचवर्षीय प्लान में ये तथ्य आया था कि वर्तमान में सार्वजनिक-सामुदायिक शौचालयों की संख्या 23 है, जिसे 2026 तक 40 करने की कार्ययोजना बनाई गई है। इसी तरह दो मूत्रालय की संख्या को 35 किया जा सकता है। इस प्लान पर कभी काम शुरू नहीं किया गया है।
इनका कहना है
शहर और ग्रामीण स्तर के बाजारों से मिनी बाथरूम न होने की समस्या सामने आई है। ये बहुत पहले बन जाना चाहिए था। एक बार फिर निगम की बैठक में इस मुद्दे पर शहर सरकार का ध्यान आकर्षित किया जाएगा।
-धर्मेन्द्र सोनू मागो, अध्यक्ष नगर निगम

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