राजस्थान, बिहार, हरियाणा व असम से जुड़े थे तार
इस सनसनी खेज प्रकरण का खुलासा करना देहात पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ था, मामले की जांच जब शुरु की गई तो पुलिस ने पाया कि रिटायर डीएसपी को जिस नंबर से फोन आया था वह असम राज्य से खरीदी गई थी, जिस समय कॉल किया गया वह लोकेशन राजस्थान की थी, रिटायर डीएसपी ने जो 95500 रुपए किसी बैंक खाते में जमा किए थे वहां बैक खाता बिहार का था। आरोपियों ने एटीएम की मदद से पैसे हरियाणा में निकाले थे। पुलिस ने जब हरियाणा के एटीएम के सीसीटीवी खंगाले तो इस गिरोह को पकडऩे में सफलता मिली है।
किराए से बैंक खाता व खरीदते थे सिम
इस साइबर ठगी के दोनों आरोपी अपने कार्य में मास्टर थे, मन्नार जो कि पेशे से मैकनिकल इंजीनियर था उसने फोन पर रिटायर डीएसपी को धमकाया था तथा दूसरा आरोपी मोहम्मद युसुफ जो कि हरियाणा के एटीएम में सुरक्षागार्ड वह एटीएम से पैसे निकालने का कार्य करता था। एक अन्य आरोपी मोहम्मद सद्दाम अभी फरार है जो कि सिम व बैंक खातों की उपलब्धता करता था।
इस टीम की रही मुख्य भूमिक
साइबर ठग गिरोह को पकडऩे में देहात टीआई गोविंद सिंह राजपूत, एसआई वर्षा सिंह, एएसआई रूपेश यादव, सायबर सेल आरक्षक रवि ठाकुर, अंकित शर्मा, ओमनरेश बघेल, उमेश उइके, गजानंद मर्रापे, महेश रघुवंशी की मुख्य भूमिका रही है। टीम ने लगातार कई राज्यों में आरोपियों को पकडऩे पहुंची लेकिन पुलिस को हरियाणा में सफलता मिली थी।