बता दें कि शहर के बस स्टैंड चौराहा, रेलवे स्टेशन, घंटाघर, पलंदी चौराहा और कलेक्ट्रेट के ठीक सामने जैसे प्रमुख स्थानों पर हर दिन यातायात का दबाव देखने को मिलता है। सुबह और शाम के समय तो हालात और भी खराब हो जाते हैं, जब स्कूल, कॉलेज और दफ्तरों की भीड़ सड़कों पर उतरती है।इधर, इस मुद्दे पर स्थानीय लोगों से बात की, तो उन्होंने साफ कहा कि अब बहानों का वक्त नहीं, व्यवस्था चाहिए। वहीं दूसरी ओर याातयात नियंत्रण करने की जिम्मेदारी निभा रही यातायात पुलिस अमले में स्टाफ की कमी और संसाधनों का अभाव है। अधिकारियों का कहना है कि प्रमुख चौराहों पर सिग्नल के लिए प्रस्ताव भेजा जा चुका है, लेकिन अभी तक इस पर कोई स्वीकृति नहीं मिली है।वर्जन
घंटाघर से धगट चौराहा मार्ग पर किसी भी समय निकलें, तो जाम की समस्या देखने को मिल जाती है। खासतौर से दिन के 11 बजे के आसपास और शाम के समय िस्थति अधिक खराब होती है।सुमित चौरसियाहर चौराहे पर सिग्नल लगे होने चाहिए, ताकि यातायात अपने आप नियंत्रित हो सके। पुलिसकर्मी हाथ से ट्रैफिक संभालते हैं, लेकिन ये हमेशा संभव नहीं है।
राहुल जैन बच्चों को हर दिन स्कूल-कोचिंग जाते वक्त जाम में फंसना पड़ता है। इससे समय की बर्बादी होती है और परेशान होना पड़ता है।दुर्गेश उपाध्याययातायात सिग्नल की मांग सालों से चली आ रही है, लेकिन स्थानीय प्रशासन
द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। शहर विकास को लेकर करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं, लेकिन सिग्नल लगाए जाने की राशि स्वीकृत नहीं हो पा रही है।रानू जैन यातायात नियंत्रण को लेकर शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर पुलिस कर्मियों की ड्यूटी नियमित लगाई जा रही है। सिग्नल के लिए भी थाना स्तर से प्रस्ताव भेजा जा चुका है। इसके अलावा अन्य प्रयास भी यातायात पुलिस द्वारा किए जा रहे हैं।दलबीर सिंह मार्काे, यातायात थाना प्रभारीपत्रिका व्यू
शहर की सड़कों पर अब ट्रैफिक सिग्नल सिर्फ एक जरूरत नहीं, बल्कि प्राथमिकता बन चुकी है। आम नागरिकों की आवाज़ और यातायात पुलिस की परेशानियां यह संकेत देती हैं कि बढ़ते यातायात दबाव की वजह से आने वाले दिनों में िस्थति और भी बिगडेगी।