Medaram Jatara: माताओं चढ़ाई जाती है बलि
आपको बता दें कि मेले के लिए
नदी तट के आस-पास दस किमी के दायरे में अस्थाई गांव बनाने का काम प्रशासन पूरा कर लिया हैं। इस इलाके में जम्पन्नावांगू नदी को पवित्र नदी माना जाता हैं, इसके तट पर समक्का व सारलम्मा माता की पूजा अर्चना व इन्हें गुड का भोग चढ़ाने दूर दराज से लोग यहां पहुंचेंगे। मां समक्का चिलकलगुठ्ठा से मेडारम मंदिर में और मां सारलम्मा का कोनेपल्ली से मेडारम का प्रस्थान 21 फरवरी को होगा, गुड, साड़ी, चूड़ी, हल्दी, कुंकुम दोनों माताओं को चढ़ाया जाएगा।
माताओं को इसके अलावा बकरा व मुर्गा की बलि चढ़ाई जाती हैं। जातरा के लिए तेलंगाना सरकार ने एक सौ दस करोड़ बजट आवंटन किया हैं। वहीं मुलुगु की स्थानीय विधायक व कैबिनेट मंत्री सीतक्का मेदाराम में रहकर लगातार तैयारियां कर रही हैं। मेले के शुरू होते ही तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी व पूरा कैबिनेट एवं महाराष्ट्र, आंध्र व छत्तीसगढ़ के मंत्री शिरकत होंगे।
लाखों टन गुड का चढता है चढ़ावा
मान्यता के अनुसार मां समक्का व सारलम्मा माता को गुड का चढ़ावा दिया जाता हैं , इसके चलते कई लाखों टन गुड यहाँ प्रसाद के तौर पर चढ़ावा चढ़ता हैं , गुड को सोने का प्रतिरूप माना जाता हैं ।
ऐसे पहुंचे मेडारम
Medaram Jatara: कोंटा से भद्राचलम होते हुए तेलंगाना के मनगूर होते मेदाराम जाया जा सकता हैं। यह दूरी 210 किमी हैं , इसके अलावा बीजापुर से तारलागुड़ा, वेटूरनागारम सें मेडारम जा सकते हैं, यह दूरी बीजापुर से 156 किमी हैं। दोनों ही सड़क मार्ग बेहतर हैं। छत्तीसगढ़ सहित अन्य चार राज्यों से श्रद्धालु यहां पहुंचेंगे। श्रद्धालुओं को यहां पहुंचाने तेलंगाना सरकार ने 06 हजार सरकारी बसों की व्यवस्था और राज्य परिवहन के 14 हजार कर्मचारियों की ड्यूटी पर तैनात की हैं। सिर्फ यह बसों के माध्यम से ही 30 लाख श्रद्धालु पहुंचने का अनुमान हैं।
निजी वाहन व बसों से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या डेढ़ करोड़ पार हो सकती हैं। कनेक्टविटी के लिए मोबाइल टावर व स्वच्छता के लिए 25 हजार से अधिक शौचालय बनाए गए हैं। पेय जल के लिए पाईप लाईन व भोजन के लिए होटल दुकानें लगनी शुरू हो गई हैं।