Phagun Madai Mela: तमाम अवैध गतिविधियों पर लगाम
पुलिस अधिकारियों को मालूम है, इसके बाद भी उनको सुधरवाया नहीं गया है। शहर की सुरक्षा व्यवस्था फिहलाल हासिए पर है। फागुन मड़ई मेला के लिहाज से कैमरों का दुरुस्त होना बेहद जरूरी था। हजारों की संया में यहा भीड़ एकत्र होती है। दक्षिण बस्तर का यह सबसे अहम मेला माना जाता है। माओवाद प्रभावित इलाका है। पुलिस लगातार माओवादियों पर दबाब बना रही है। उनको बैकफुट पर रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। दक्षिण बस्तर के सबसे बड़े मेले में अहम किरदार कैमरों को ही अधिकारियों ने दुरुस्त नही करवाया है। लोगों का कहना है कि कैमरों से असामाजिक तत्वों को तो डर रहता ही है, साथ ही तमाम अवैध गतिविधियों पर लगाम लगती है।
आर के बर्मन, एएसपी दंतेवाड़ा: मेले की सुरक्षा व्यवस्था पुता है। 200 से अधिक जवानों को सुरक्षा में लगाया गया है। साथ ही यातायात के जवानों की तैनाती रहेगी। शहर में लगे कैमरे खराब है। उनको इसी सप्ताह ठीक करवाया जाएगा।
मेले की सुरक्षा के लिए तैनात होगें 200 से अधिक जवान
मले को व्यवस्थित और
सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जिला प्रशासन पुरजोर प्रयास कर रहा है। कलेक्टर और एसपी लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं। गुरुरवार को सुबह मंदिर परिसर पहुंचे थे। इतना ही नहीं नगर का पूरा जायजा लिया। बताया जा रहा है सुरक्षा के लिए 200 से अधिक जवानों की तैनाती की है।
ये सभी जवान राउंड दि क्लॉक ड्यूटी करेगें। इसके साथ ही यातायात पुलिस के जवान भी तैनात रहेगें। बावजूद इसके कैमरों का दुरस्त होना भी अति आवाश्यक है। भीड़ उपद्रवी चेहरों को पहचानने का काम कैमरे आसानी करते हैं।
इलाके से 8 परिवारों को किया बेदखल
Phagun Madai Mela: दक्षिण बस्तर में फोर्स नक्सलियों को उनकी मांद में घुस कर मार रही है। ऐसे में नक्सली भी बौखलाए हुए हैं। लगातार नक्सली पुलिस मुखबिरी के नाम पर हत्याओं को अंजाम दे रहे हैं। सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा में एक माह में ही आधा दर्जन से अधिक हत्याएं की है। हाल ही मे बारसूर थाना क्षेत्र में नक्सलियों ने तुषवाल पंचायत में शिक्षा दूत सहित एक ग्रामीण को मौत के घाट उतार दिया था। इतना ही नहीं इसी इलाके से आठ परिवारों को बेदखल कर दिया है। माओवादी सिर्फ शॉट कॉर्नर देख हमला कर रहे हैं। इस लिए मेले की सुरक्षा व्यवस्था बेहद पुता होना जरूरी है। मेला और बाजारों में नक्सली पहले भी वारदातों को अंजाम देते रहे है।