यह दिन विशेष रूप से साधकों और तांत्रिक विद्या में रुचि रखने वालों के लिए शुभ माना जाता है। मां भुवनेश्वरी को सौंदर्य, ऐश्वर्य, ज्ञान और शक्ति की देवी माना जाता है। सही विधि से पूजन करने पर भक्तों को अद्भुत आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।
मां भुवनेश्वरी की पूजा का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब संसार में असुरों का अत्याचार बढ़ने लगा था, तब सभी देवी देवता परेशान होने लगे। इसके बाद देवतागण अपनी परेशानी लेकर महादेव के पास पहुंचे और उन्हें दानवों के घोर अत्याचार के बारे में बताया।
महादेव ने देवताओं की बात सुनी और क्रोध में आकर दानवों का वध करने के लिए निकल गए। मान्यता है कि महादेव जब अधंका राक्षक वध करने के लिए गए तो मां भुवनेश्वरी ने उनकी मदद की।
कैसे हुआ मां भुवनेश्वरी का प्राकट्य
मां भुवनेश्वरी का प्राकट्य की कथा बड़ी अद्भुत है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भुवनेश्वरी लौकिक महासागर और अन्य महाविद्याओं से प्रकट हुई हैं। इन्होंने राक्षस अंधका के खिलाफ भगवान शिव की लड़ाई में सहायता की थी। मां दुर्गा ने भुवनेश्वरी अवतार भगवान शिव की मदद करने और असुरों का वध करने के लिए लिया था।
गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन की पूजा विधि
इस शुभ दिन पर व्रत करने वाले जातक को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करने के बाद पूजा स्थल की साफ सफाई करनी चाहिए। व्रत संकल्प करें और पूजा की समग्री रखें। मां दुर्गा के सभी रुपों का ध्यान करते हुए घी की दीपक प्रज्ज्वलित करें। मां भुवनेश्वरी को लाल लाल सिंदूर, चावल और लाल फूल चढ़ाएं। इसके बाद मां को मेवे या शुद्ध दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद पूजा स्थल के सामने आसन लगाकर बैठे और मां भुवनेश्वरी को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का ॐ ऐं ह्रीं श्रीं भुवनेश्वर्यै नमः मंत्र का 108 बार जाप करें। वहीं सिद्धि प्राप्त करने के लिए ॐ ह्रीं भुवनेश्वर्यै नमः का जप करें। पूजा के अंत में मां भुवनेश्वरी की आरती करें और ध्यान लगाएं।
डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।